us airstrike in syria – असद के भागते ही सीरिया में आसमान से बरस रहे गोले, जानिए क्यों इजरायल-अमेरिका और तुर्की कर रहे बमबारी – Why are Israel US & Turkey bombing Syria airbases after Assad fall ntc

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सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद का तख्तापलट हो चुका है और विद्रोही बलों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. बशर अल-असद 13 साल के गृहयुद्ध के बाद देश छोड़कर जा चुके हैं. विद्रोहियों के इस्लामिक स्टेट के साथ संबंधों को देखते हुए, पश्चिमी देश सावधान हो गए हैं. इन देशों को डर है कि कहीं सीरियाई हथियारों के विशाल भंडार और सामरिक स्थलों पर दुश्मन का कब्जा ना हो जाए.  

पिछले हफ्ते ही सीरिया में प्रमुख लक्ष्यों पर दर्जनों हवाई हमलों की खबर आई. यूएस सेंट्रल कमांड (CENTCOM) ने कहा कि उसने ISIS के प्रमुख चेहरो, गुर्गों और शिविरों को निशाना बनाकर 75 से अधिक ठिकानों पर हमला किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि असद के शासन के अंत के बाद पैदा हुई अराजक स्थिति का आईएसआईएस लाभ न उठा सके.

सोर्स: लाइवयूमैप, आईएसडब्ल्यू, मीडिया रिपोर्ट (नोट: मैप पूरा नहीं है)

इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने सोमवार को कहा कि उनके देश ने सीरिया में संदिग्ध रासायनिक हथियारों के ठिकानों को निशाना बनाया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि हमलों का उद्देश्य इन हथियारों को शत्रुतापूर्ण हाथों में जाने से रोकना था.

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इंडिया टुडे के मैप के अनुसार, इज़रायल, अमेरिका और तुर्की द्वारा किए गए हवाई हमले सीरिया में प्रमुख सैन्य ठिकानों के पास या उन पर किए गए हैं, जिसका उद्देश्य उन पर ISIS द्वारा कब्ज़ा किए जाने से रोकना था. असद को ईरान और रूस के साथ-साथ लेबनानी आतंकवादी समूह हिज़्बुल्लाह से अहम समर्थन मिला था. अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश विद्रोही गठबंधन के प्रमुख समूह, हयात तहरीर अल-शाम (HTS) को एक आतंकवादी संगठन मानते हैं.

सीरिया में अमेरिका के लगभग 900 सैनिक तैनात है, जो उत्तर-पूर्व में कुर्द-नियंत्रित तेल कुंओं वाले क्षेत्रों और दक्षिण-पूर्व में एक गैरीसन में तैनात हैं. सीरियाई गृहयुद्ध में अमेरिका की भूमिका कई बार बदली है, लेकिन उसने हमेशा इस्लामिक स्टेट के बचे हुए आतंकियों से लड़ने पर ध्यान केंद्रित किया है.

 

सीरिया का नक्शा 2 सप्ताह के भीतर कैसे बदला

एक दशक से भी ज़्यादा समय तक रूसी और ईरानी सैन्य समर्थन ने बशर अल-असद को सत्ता में बनाए रखा. पिछले हफ़्ते सीरियाई विद्रोही बलों ने सीरिया के उत्तर-पश्चिम के ज़्यादातर हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया. सबसे पहले विद्रोहियों ने अलेप्पो, फिर हमा और होम्स पर कब्ज़ा किया. रविवार को वे सीरिया की राजधानी दमिश्क में घुस गए और बिना किसी लड़ाई के शहर पर कब्ज़ा कर लिया. इस दौरान सरकारी बल भाग गए.

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संघर्ष तब शुरू हुआ जब 2011 में सीरियाई लोगों ने राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के खिलाफ़ शांतिपूर्ण तरीके से विद्रोह किया. विरोध प्रदर्शनों का हिंसक दमन किया गया और समुदायों ने खुद का बचाव करने के लिए हथियार उठा लिए.

बदलते नियम

सीरिया के संघर्ष में कई पक्ष शामिल थे जिनमें सीरियाई सरकारी बलों, सेना और राष्ट्रीय रक्षा बलों ने असद के शासन के लिए लड़ाई लड़ी. एचटीएस ने इदलिब पर शासन किया, और तुर्की से ताल्लुक रखने वाले सुरक्षाबल- जैसे सीरियन नेशनल आर्मी (एसएनए), उत्तर में काम करती थीं. वही एचटीएस और एसएनए ने असद सरकार को गिराने के लिए हाथ मिला लिया. अमेरिका समर्थित सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) अभी भी उत्तर-पूर्व में एक स्वतंत्र शासन कायम किए हुए हैं.

अपने शुरुआती वर्षों में, इस्लामवादी चरमपंथियों और उदारवादी समूहों सहित विद्रोहियों ने देश के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण हासिल कर लिया था. 2014 तक, उन्होंने उत्तर-पश्चिम में, हामा, दमिश्क के पास के क्षेत्रों, इजरायली सीमा से सटी दक्षिण-पूर्वी सीमा और उत्तर-पूर्व में यूफ्रेट्स और अल-हसाका प्रांतों के कुछ हिस्सों में गढ़ बनाए.

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2014 में, इस्लामिक स्टेट के उदय और असद को रूस के सैन्य समर्थन से समीकरण पूरी तरह बदल गए. इस्लामिक स्टेट ने अपने क्षेत्र का विस्तार उत्तर-पूर्वी सीरिया में किया, जबकि रूसी हवाई हमलों ने विद्रोही समूहों को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया. समय बढ़ने के साथ, ईरान और हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों द्वारा समर्थित असद की सेनाओं ने 2016 में अलेप्पो और 2017 में यूफ्रेट्स के साथ-साथ कस्बों सहित प्रमुख क्षेत्रों को फिर से अपने कब्जे में कर लिया. 2019-2020 तक, सरकारी बलों ने विद्रोहियों को इदलिब प्रांत में धकेल दिया था. इसके बाद टकराव और बढ़ गया.

इस साल, नवंबर के अंत में संघर्ष फिर से भड़क गया जब विपक्षी बलों ने राजधानी की ओर बढ़ते हुए एक नया आक्रमण शुरू कर दिया.

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