तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू बनाने में इस्तेमाल हुआ घी चर्चा में है. दरअसल, कुछ रिपोर्ट्स में सामने आया है कि लड्डू के घी में जानवरों की चर्बी थी. इसके बाद से लोग इस बात को लेकर चिंता में है कि आखिर वो जो घी खा रहे हैं, उसमें तो कहीं मिलावट नहीं है. घी के असली और नकली पहचानने को लेकर कई टिप्स इंटरनेट पर शेयर किए जा रहे हैं. अगर आप बाजार से पैकेट बंद घी खरीद रहे हैं तो आप उसके पैकेट से पता कर सकते हैं कि उसमें क्या क्या मिला हुआ है. तो आपको बताते हैं कि पैकेट पर लिखी चीजों का क्या मतलब है?
पैकेट पर क्या-क्या लिखा होता है?
जो भी आप पैकेट बंद सामान खरीदते हैं, उसमें ये लिखा होता है कि इस चीज को बनाने के लिए किन-किन चीजों का इस्तेमाल किया गया है. चाहे आप घी का पैकेट खरीद रहे हों या फिर घी का डिब्बा. आज घी की बात कर रहे हैं. जब भी घी का डिब्बा खरीदेंगे तो उसके पीछे एक टेबल बनी होगी, जिसमें आप देख सकते हैं कि इस घी में क्या क्या है और इसका क्या मतलब है.
घी के पैकेट पर न्यूट्रिशन के लेवल पर सामान्य तौर पर 5 जानकारी लिखी होती है, जिसमें एनर्जी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, शुगर विटामिन, फैट शामिल है. इसमें कैलोरी करीब 900 होती है और कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, शुगर की वैल्यू जीरो होती है. लेकिन, इसमें सबसे ज्यादा होता है फैट और 100 ग्राम में करीब 99.7 फीसदी. वहीं कुछ मात्रा विटामिन की होती है.
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वहीं, डिब्बों पर इसमें पड़े वाली सामग्री के लिए लिखा होता है कि ये पूरी तरह से मिल्क फैट का बना है. यानी घी को बनाने में सिर्फ मिल्क फैट का इस्तेमाल किया गया है. ऐसे में पैकेट में मिलावट है या नहीं, इसकी जानकारी पैकेट पर लिखी जानकारी के जरिए नहीं मिल सकती है. जो भी बीफ टैलो जैसी चीजों की मिलावट होती है, वो लिखी नहीं होती है. आप अन्य चीजों से ये पता कर सकते हैं कि ये घी आपकी हेल्थ पर क्या असर डालेगा.
क्या होता है टोटल फैट?
घी एक तरह से फैट ही होता है और 99 फीसदी हिस्सा फैट का होता है. इस फैट में कई तरह के फैट शामिल होते हैं, जिसमें सैचुरेटेड फैट, Monounsaturated fat, Polyunsaturated फैट शामिल होता है. इसमें अधिकतर फैट सैचुरेटेड फैट होता है. सैचुरेटेड फैट, फैट को थोड़ा सॉलिर वर्जन है, जिसमें हेल्थ के लिए नुकसान दायक माना जाता है और ये ही शरीर में कॉलेस्ट्रॉल बढ़ने का कारण है. वहीं, Polyunsaturated फैट को हेल्दी माना जाता है. माना जाता है कि एक चम्मच में करीब 9 ग्राम सैचुरेटेड फैट होता है.
क्या है प्योर घी और देसी घी में फर्क?
आपने घी के पैकेट पर देखा होगा कि कुछ पर प्योर घी लिखा होता है तो कुछ पर देसी घी लिखा होता है. क्या इनें भी कोई फर्क होता है. FSSAI के अधिकारियों के अनुसार, एगमार्क देने का क्राइटेरिया प्योर घी, देसी घी, शुद्ध देसी घी के हिसाब से नहीं होता है. एगमार्क मिलने का क्राइटेरिया सिर्फ घी होता है और कंपनी के घी बनाने के प्रोसेस के आधार पर घी का एगमार्क दिया जाता है. अगर डिब्बे पर प्योर घी, देसी घी या शुद्ध घी लिखे होने की बात करें तो इसमें टेक्निकली कोई अंतर नहीं होता है.
गाय के घी के लिए मिलता है अलग एगमार्क?
घी के कई डिब्बों पर गाय का घी लिखा होता है और कंपनियां दावा करती हैं कि ये घी गाय के दूध को प्रोसेस करके बनाया गया है. गाय के घी को लेकर आरएम वैल्यू के आधार पर एगमार्क लाइसेंस दिया जाता है.वैसे आमतौर पर घी की कैटेगरी में ही एगमार्क लाइसेंस दिया जाता है.
वनस्पति घी भी घी होता है?
अगर वनस्पति घी की बात करें तो इसे ऑयल की कैटेगरी में मार्क किया जाता है. अधिकारी का कहना है कि दरअसल ये तेल जम जाता है तो लोग इसे घी मानने लगते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. ये वेजिटेबल ऑयल होते हैं, जिनके लिए अलग व्यवस्था होती है और उन्हें घी का एगमार्क लाइसेंस नहीं दिया जाता है.