Hindenburg – Hindenburg का ये था असली खेल, पहले खुलासा… फिर ‘Short Selling’ से कमाई, अब बंद हो रही दुकान – Hindenburg short selling game and why Nate Anderson disbanding firm now know how it earn money tutc

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अब तक हिंडनबर्ग (Hindenburg) का नाम आते ही जेहन में एक ही सवाल खड़ा होता था कि किसी कंपनी या दिग्गज रईस को लेकर कोई खुलासा होने वाला है. पहले खुलासा और फिर शॉर्ट सेलिंग से मोटी कमाई का खेल लंबे समय से चल रहा था और गौतम अडानी, सेबी चीफ माधुरी पुरी बुच समेत कई विदेशी हस्तियां इसकी शिकार बन चुकी हैं. लेकिन अब Hindenburg Reaserch की दुकान बंद होने जा रही है. हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन ने अपनी कंपनी को बंद करने का फैसला लिया है. आइए इसके पूरे खेल को विस्तार से समझते हैं… 

एंडरसन ने पोस्ट शेयर कर दी जानकारी
सबसे पहले बता दें Hindeburg को लेकर आई ताजा खबर के बारे में, तो इसके फाउंडर Nathan Anderson ने अपनी कंपनी को बंद करने का फैसला लिया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर (अब X) पर एक पोस्ट शेयर कर ये जानकारी दी है. इसमें उन्होंने अपने सफर, संघर्ष और उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया. फाउंडर नाथन एंडरसन ने अपने संदेश में लिखा कि, ‘मैंने पिछले साल के अंत में ही अपने परिवार, दोस्तों और हमारी टीम के साथ ये बात शेयर की थी कि मैं हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने का निर्णय ले रहा हूं. हमने जो सोचा था उसे पूरा करने के बाद इसे खत्म करना था. आज आखिरी मामलों को नियामकों के साथ शेयर करने के बाद वो दिन आ गया है.’

शॉर्ट सेलिंग का खेल खेलती थी कंपनी
हिंडनबर्ग (Hindenburg) का नाम सुर्खियों में आने के साथ ही एक और चीज की चर्चा तेज हो जाती है, जिसका नाम है ‘शॉर्ट सेलिंग’, जी हां इसी के जरिए अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग मोटी कमाई करती है. हालांकि, Short Selling एक तरह की ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी ही है, लेकिन इसे हथियार बनाकर हिंडनबर्ग जैसी कंपनियां अरबों रुपये छाप लेती हैं. खास बात ये है कि शॉर्ट सेलिंग का पूरा खेल शॉर्ट सेलर द्वारा उधार लिए गए शेयरों से खेला जाता है.

नाथन एंडरसन (Nathan Anderson) की हिंडनबर्ग रिसर्च एक इन्वेस्टमेंट फर्म होने के साथ ही शॉर्ट सेलर कंपनी भी है. Hindenburg कंपनी की प्रोफाइल को देखें तो ये एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर है और यही इसकी अरबों रुपये की कमाई का अहम जरिया भी है. शॉर्ट सेलिंग से कमाई को आसान भाषा में समझें तो इसमें आप एक ऐसी सिक्योरिटी की बिक्री करते हैं, जो आपके पास होती ही नहीं है. बल्कि ये पूरा खेल उधार के शेयरों के जरिए खेला जाता है. इसमें खास बात ये होती है कि शॉर्ट सेलिंग में ट्रेडिंग करने वाले स्टॉक्स की कीमत बढ़ने के बजाय उसके गिरने पर कमाई करते हैं.

कंपनी को होता है तगड़ा मुनाफा
इसे उदाहरण के जरिए समझें, तो अगर किसी कंपनी के शेयर को शॉर्ट सेलर इस उम्मीद से खरीदता है कि भविष्य में 200 रुपये का स्टॉक गिरकर 100 रुपये पर आ जाएगा. इसी उम्मीद में वो दूसरे ब्रोकर्स से इस कंपनी के शेयर उधार के तौर पर ले लेता है. ऐसा करने के बाद शॉर्ट सेलर इन उधार लिए गए शेयरों को दूसरे ऐसे निवेशकों को बेच देता है, जो इसे 200 रुपये के भाव से ही खरीदने को तैयार बैठे हैं. वहीं जब उम्मीद के मुताबिक, कंपनी का शेयर गिरकर 100 रुपये पर आ जाता है, तो शॉर्ट सेलर उन्हीं निवेशकों से शेयरों की खरीद करता है. 

गिरावट के समय में वो शेयर 100 रुपये के भाव पर खरीदता है और जिससे उधार लिया था उसे वापस कर देता है. इस हिसाब से उसे प्रति शेयर 100 रुपये का जोरदार मुनाफा होता है. इसी रणनीति के तहत हिंडनबर्ग कंपनियों को शॉर्ट कर कमाई करती है.

फायदे के साथ इस खेल में जोखिम भी ज्यादा
जैसा कि बताया कि Short Selling में शेयरों को शॉर्ट करके पैसा कमाया जाता है. लेकिन जोरदार मुनाफा कमाने के साथ ही ये तरीका जोखिम भरा भी है और अगर दांव उल्टा पड़ जाता है, तो शॉर्ट सेलर को जोरदार घाटा उठाना पड़ता है. इस तरीके को बाजार की सेहत के लिए खराब माना जाता है. दरअसल, अगर इस तरीके में निवेश करने से निवेशकों के पैसे डूबते हैं, तो उनके बाजार से दूरी बनाने के चांस बन जाते हैं, जिसका असर मार्केट ग्रोथ पर भी पड़ता है.

आखिर क्यों लिया हिंडनबर्ग बंद करने का फैसला?
गौतम अडानी, माधबी पुरी बुच से लेकर डैक डोर्सी और तमाम बड़ी कंपनियों को निशाना बनाकर तगड़ा कमाई करने के बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि नाथन एंडरसन ने इस शॉर्ट सेलिंग फर्म को बंद करने के फैसला लिया. इसके बारे उन्होंने अपनी पोस्ट में खुद ये स्पष्ट किया कि Hindenburg को बंद करने का फैसला एक बेहद व्यक्तिगत निर्णय था. उन्होंने कहा कि इसके लिए कोई एक खास बात नहीं है, न ही कोई खास खतरा दिखाई देता है. 



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