Car AC Explained: कितने टन का होता है कार का AC, कैसे काम करती है ये तकनीक? जानें हर सवाल का जवाब – How does car Air Conditioner work capacity of AC used in Vehicles Function and Maintenance tips HVAC Explained

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Car’s AC Function, Capacity Explained: आज कल की मॉर्डन कारों को बिना एयर कंडीशनर ड्राइव करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. एक समय था जब लोग कार के विंडो को खोलकर खुली सड़क पर कार दौड़ाते थें. लेकिन अब बढ़ते प्रदूषण और गर्मी के चलते बिना AC के कार ड्राइव करना काफी मुश्किलों भरा होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी कार में जो एयर कंडीशनर इस्तेमाल किया जाता है वो कितने टन का होता है. आखिर चलती कार में ये सिस्टम किस तरह से काम करता है. ऐसे ही कार के एयर कंडीशनर से जुड़े तमाम सवालों का जवाब लेकर आज हम आपके बीच आए हैं. 

कार के एयर कंडीशनर के फंक्शन, मैकेनिज़्म और क्षमता को तसल्ली से समझने के लिए हमने देश की प्रमुख कार निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स से संपर्क किया. जिनके टेक्निकल डिपार्टमेंट की ओर से हमारे कई सवालों के जवाब भेजे गए हैं. तो आइये जानें कार के एयर कंडीशनर सिस्टम से जुड़े हर सवाल के जवाब- 

कार के एयर कंडीशनर के मुख्य कंपोनेंट:

  • कंडेनसर
  • रिसीवर
  • ड्रायर
  • कंप्रेसर
  • एक्सपेंशन वॉल्व
  • इवेपोरेटर

कैसे काम करता है कार का एयर कंडीशनर:

आजकल की कारों में मॉर्डन हीटिंग वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (HVAC) सिस्टम ‘कूलिंग’ के साथ-साथ ‘हीटिंग’ फंक्शन के साथ आते हैं. जो कार के केबिन को ठंडा और जरूरत पड़ने पर गर्म करने की भी क्षमता रखते हैं. ताकि यात्रियों को पूरे साल अलग-अलग मौसम के अनुसार आरामदायक ड्राइविंग का मजा मिल सके. ये HVAC सिस्टम कूलिंग और हीटिंग दो अलग-अलग मोड में भिन्न तरीकों से काम करता है, जिसके बारे में नीचे बताया जा रहा है.

कूलिंग मोड की प्रक्रिया: 

– सबसे पहले कूलिंग मोड की बात करते हैं. इस मोड में कार का एयर कंडीशनिंग सिस्टम ‘रेफ्रिजरेंट’ नामक एक विशेष तरल पदार्थ का उपयोग करके केबिन के अंदर की हवा को ठंडा करता है. जो हर साइकिल के दौरान लगातार प्रेशर, टेंप्रेचर और फेज चेंजेज से गुजरता है.

– इस साइकिल की शुरुआत एसी कंप्रेसर से होती है, जो रेफ्रिजरेंट को लो प्रेशर और लो टेंप्रेचर वाष्प या भाप को हाई प्रेशर और टेंप्रेचर में बदल देता है. जिसके बाद वाष्प (Vapour) कंप्रेसर के डिस्चार्ज साइड से बाहर निकलता है.

– गर्म रेफ्रिजरेंट (हाई प्रेशर वेपर फेज में) पहले कंडेनसर के माध्यम से आगे बढ़ता है, जिसमें भाप हाई प्रेशर के चलते लिक्विड में बदल जाता है. इस प्रक्रिया में, रेफ्रिजरेंट अपनी कंडंसेशन हीट को छोड़ता है.

– यह रेफ्रिजरेंट (हाई प्रेशर वाले लिक्विड फेज में) अब एक एक्सपेंशन वाल्व (थ्रॉटलिंग डिवाइस) के माध्यम से आगे बढ़ता है. जहां इसका दबाव कम हो जाता है और यह कम तापमान और दबाव पर एक लिक्विड-वैपर (तरल वाष्प) का मिश्रण बनाता है.

– इस प्रक्रिया के बाद रेफ्रिजरेंट तरल-वाष्प मिश्रण से कम दबाव पर वाष्प में बदल जाता है और हवा ठंडी हो जाती है. इस प्रकार ठंडी हुई हवा डैशबोर्ड पर एयर वेंट के माध्यम से केबिन में प्रवाहित होती है.

– लो प्रेशर और लो टेंप्रेचर वाला रेफ्रिजरेंट वेपर कंप्रेसर के सक्शन साइड में वापस चला जाता है. यह चक्र बार-बार दोहराया जाता है, जिससे कार का केबिन ठंडा रहता है.

Car AC Function. Pic- CTOCH

हीटिंग मोड की प्रक्रिया:

– वहीं हीटिंग मोड में कार के इंजन से निकलने वाली अपशिष्ट ऊष्मा (गर्मी) को कूलेंट (Coolant) में भेजा जाता है और इसका उपयोग केबिन को गर्म करने के लिए किया जाता है.

– गर्म इंजन में कूलेंट एक हीटर (तीसरे हीट एक्सचेंजर) के माध्यम से बहता है. जो डैशबोर्ड में दिए जाने वाले HVAC यूनिट में ईवैपरेटर के साथ मौजूद होता है.

– HVAC यूनिट के अंदर एक एयर-मिक्स डोर होता है, जो पूरी तरह से बंद रहता है. ये किसी भी परिस्थिति में हवा को हीटर की तरफ नहीं जाने देता है. 

– सर्दी के दिनों में जब यूजर अपनी जरूरत के अनुसार AC का टेंप्रेचर नॉब जिस लेवल पर सेट करता है. उसी के अनुसार एयर-मिक्स को डार खुलता है और हीटर के ऊपर हवा को प्रवाहित होता है. इससे कार का केबिन कम्फर्टेबल बना रहता है.

– इसके बाद यह गर्म हवा HVAC यूनिट पर दिए गए एयर वेंट्स (पैरों को गर्म करने के लिए) और डैशबोर्ड पर दिए गए एयर वेंट्स (ऊपरी शरीर को गर्म करने के लिए) के माध्यम से केबिन में प्रवाहित होती है.

कार के एयर कंडिशन से कैसे मिलेगी बेस्ट कूलिंग: 

अगर आपकी कार सूर्य की रोशनी में लबें समय से खड़ी है तो जाहिर है कि कार के केबिन का तापमान काफी बढ़ जाएगा. ऐसे ही उमस भरे और बरसात के दिनों में भी एयर कंडीशनर के फंक्शन पर असर पड़ता है. इसलिए AC से बेहतर कूलिंग प्राप्त करने के लिए इसे अलग-अलग मौसम परिस्थितियों के अनुसार समझना होगा.

पहली स्थिति: भीषण गर्मी में क्या करें-

  • कार के विंडो को खोलें.
  • ब्लोअर चालू करें और ऑपरेशन को लेग मोड (पैरों की तरफ) में रखें.
  • गर्म हवा को बाहर जाने दें और ताज़ी हवा को अंदर आने दें.
  • कुछ मिनट के लिए विंडो खोलकर वाहन चलाएँ.
  • विंडो बंद करें और AC को रीसर्कुलेशन मोड और पूरी तरह कूलिंग मोड में चालू करें.
  • अपनी सुविधा के अनुसार एयर कंडिशन की स्पीड निर्धारित करें.

दूसरी स्थिति: उमस और बरसात के मौसम में कैसे पाएं बेहतर कूलिंग-

नमी और बरसात के मौसम में ओस (Dew) कार के एयर कंडीशनिंग (एसी) सिस्टम के ऑपरेशन पर गहरा प्रभाव डालता है. आइये जानें इस परिस्थिति में क्या करें-

एसी स्टार्ट करें: केबिन के अंदर नमी कम करने के लिए एसी को कूल मोड पर सेट करें.

डीफ़्रॉस्ट करें: विंडशील्ड पर हवा प्रवाहित करने के लिए डीफ़्रॉस्ट मोड ऑन करें. यह शीशे पर जमी धुंध और कंसंडेंशन को साफ़ करने और विजिबिलिटी बेहतर करने में मदद करता है.

टेंप्रेचर सेट करें (मैन्युअल या ऑटो मोड): टेंप्रेचर को सुविधानुसार कम्फर्टेबल लेवल पर सेट करें. लेकिन कूलिंग को ज्यादा न बढ़ाएं.

रीसर्कुलेशन मोड का उपयोग: अगर बाहर बहुत ज़्यादा नमी है, तो बाहर की नम हवा को केबिन में प्रवेश करने से रोकने के लिए रीसर्कुलेशन मोड का उपयोग करें.

उचित वेंटिलेशन बनाए रखें: अगर नमी बहुत ज़्यादा है, तो नमी के स्तर को संतुलित करने के लिए रीसर्कुलेशन और ताज़ी हवा मोड के बीच बारी-बारी से चेंज करते रहें.

विंडो बंद रखें: इस दौरान कार के विंडो को बंद रखें ताकि बाहर की नमी कार के भीतर दाखिल न हो.

तीसरी स्थिति: सर्दी के मौसम में क्या करें- 

रेगुलर इस्तेमाल: सर्दियों के दौरान समय-समय पर AC को चलाते रहें. भले ही बाहर ठंड हो. इससे कार के अंदर नमी के लेवल को बनाए रखने और फ्लैश फॉगिंग से बचने में मदद मिलती है.

डीफ़्रॉस्ट मोड: ज़रूरत पड़ने पर डीफ़्रॉस्ट मोड के साथ AC का इस्तेमाल करें. AC कार के अंदर की हवा को नमीमुक्त करने में मदद करता है, जो विंडो पर फॉग जमने से रोकता है.

टेंप्रेचर कंट्रोल: एयर कंडीशनर के टेंप्रेचर को कम्फर्टेबल लेवल पर सेट करें. HVAC सिस्टम का इस्तेमाल कार के केबिन के वातावरण को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.

फैन स्पीड: एसी के फैन की स्पीड को जरूरत के अनुसार सेट करें. फैन स्पीड हवा को पूरे केबिन में तेज़ी से और समान रूप से वितरित करने में मदद करती है. जो कूलिंग और डीफ़्रॉस्टिंग दोनों परिस्थिति में फ़ायदेमंद साबित होती है.

सर्कुलेशन मोड: AC चलाते समय फ्रेश एयर के लिए सर्कुलेशन मोड को ऑन करें. 

कितने टन का होता है कार का एयर कंडीशनर?

बॉडी टाइप  कूलिंग सिस्टम कैपेसिटी 
हैचबैक और सेडान सिंगल कूलिंग प्वाइंट 1 से 1.2 टन
स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (SUV) सिंगल कूलिंग प्वाइंट
डुअल कूलिंग प्वाइंट
1.3 से 1.4 टन
1.4 से 1.5 टन

एसी सिस्टम की कूलिंग क्षमता को समझने के लिए टन (Ton) का उपयोग बहुत लंबे समय से किया जा रहा है. यह मात्रा निर्धारित करने का एक व्यावहारिक तरीका प्रदान करता है. यह HVAC (हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग) इंडस्ट्री में क्षमता मापने की एक मानक इकाई बनी हुई है. जिससे यह तय होता है कि उक्त एयर कंडीशनर की क्षमता कितनी है.

क्या है टन की परिभाषा:

एक टन को (2,204 पाउंड बर्फ) द्वारा अवशोषित गर्मी की मात्रा के रूप में परिभाषित किया जाता है. जिससे यह 24 घंटे की अवधि में पूरी तरह पिघल जाती है. 1 टन ~ 3.52 किलोवाट. आमतौर पर घरों में इस्तेमाल होने वाले AC के लिए टन का मतलब कमरे से एक घंटे में बाहर निकाली जाने वाली गर्मी से होता है. इसे ब्रिटिश थर्मल यूनिट (BTU) में मापा जाता है. 12,000 BTU को 1 टन माना जाता है. 1.5 टन का AC 18,000 BTU और 2 टन का AC 24,000 BTU का होता है.

क्या AC के फैन स्पीड बढ़ाने या घटाने से माइलेज पर असर पड़ता है?

हां, कार में एसी की पंखे की गति माइलेज को प्रभावित कर सकती है, लेकिन इसका प्रभाव आम तौर पर न्यूनतम माना जाता है. हालांकि, अगर वाहन ऑटो एचवीएसी या एफएटीसी (HVAC/FATC) से लैस है, तो हम इसे ऑटो मोड में उपयोग करने की सलाह देते हैं क्योंकि यह केबिन तत्काल कम्फर्टेबल बनाने में मदद करता है. इससे कार का माइलेज बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं होता है. आमतौर पर, कारों में ब्लोअर की गति मैनुअल मोड में 1 से 4 तक और ऑटोमैटिक मोड में 1 से 7 तक होती है. आइये जानें मैनुअल और ऑटो मोड में एचवीएसी के प्रभाव- 

मैनुअल HVAC:

  • ब्लोअर या फैन की स्पीड ज्यादा करने से वाहन के इलेक्ट्रिकल सिस्टम पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे अल्टरनेटर को थोड़ा अधिक मेहनत करना  पड़ता है.
  • एक स्पीड से दूसरी स्पीड में ब्लोअर को बदलने पर इलेक्ट्रिसिटी की खपत ~ 30 वाट से 65 वाट तक होती है. माइलेज पर इस इलेक्ट्रिक लोड का सटीक प्रभाव इंजन के प्रकार और अन्य एडिश्नल लोड (हेडलैम्प, वाइपर, केबिन लाइटिंग) पर निर्भर करता है जो उस समय ब्लोअर के साथ चल रहे हों.
  • लो फैन स्पीड: आम तौर पर कम बिजली की खपत होती है, जिससे माइलेज में मामूली सुधार होता है.
  • हाई फैन स्पीड: अधिक बिजली की खपत होती है, जिससे माइलेज में थोड़ी कमी आ सकती है.

ऑटो HVAC: 

यदि कार में ऑटोमेटिक एचवीएसी तकनीक दी गई है तो यह सिस्टम खुद ही यूजर द्वारा सेलेक्ट किए गए टेंप्रेचर के अनुसार AC को सेट कर लेता है. ताकि कम से कम समय में केबिन के भीतर निर्धारित तापमान प्राप्त हो सके. इससे वाहन के इलेक्ट्रिकल सिस्टम पर पड़ने वाला अतिरिक्त भार कम हो जाता है. साथ ही कार के माइलेज पर भी कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ता है, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो.

ऑटो एसी सिस्टम को एनर्जी इफिशिएंसी को ऑप्टिमाइज़ करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ये सिस्टम केबिन के भीतर कम्फर्ट को बनाए रखते हुए ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए फैन की स्पीड और कंप्रेसर ऑपरेशन एडजस्ट कर सकता है. इस सिस्टम को ऑटोमेटिकली कम्फर्ट को ध्यान में रखते हुए उर्जा की बचत करने के लिए ट्यून किया गया है.

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