रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia-Ukraine War) हो या इजराइल-फिलीस्तीन में जंग या फिर इंडो पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ता तनाव, इनके चलते भले ही दुनिया दहशत में आई हो, लेकिन हथियार बनाने वाली कंपनियों की चांदी हो गई है. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की नई रिपोर्ट में जो आंकड़े पेश किए गए हैं, वो इसी ओर इशारा करते हैं कि युद्ध और तनाव के चलते हथियारों की ताबड़तोड़ बिक्री हुई है, जिससे इन्हें बनाने वाली कंपनियों के रेवेन्यू में तगड़ा उछाल आया है. रिपोर्ट के मुताबिक, इन संघर्षों के बीच साल 2023 में ही कंपनियों ने 632 अरब डॉलर के हथियार बेच दिए.
100 हथियार कंपनियों का डाटा जुटाया
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने दुनिया की टॉप-100 हथियार उत्पादक कंपनियों (Arms Production Firms) को लेकर एक नई रिपोर्ट जारी की है. इसमें दिए गए आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक हथियार कंपनियों के रेवेन्यू में साल 2023 में सालाना आधार पर 4.2% का इजाफा हुआ है और ये 632 अरब डॉलर तक बढ़ गया है. खासतौप पर यह बढ़ोतरी रूस-यूक्रेन में युद्ध (Russia-Ukraine War) समेत अन्य संघर्षों और इंडो-पैसिफिक सेक्टर में बढ़ते तनाव के बीच हथियारों की जोरदार बिक्री को दर्शाती है.
हथियारों के उत्पादन में टॉप पर अमेरिका
इस रिपोर्ट में प्रमुख वैश्विक प्लेयर्स, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), चीन (China) और भारत (India) के बीच डिफेंस प्रोडक्शन और खर्चों पर भी प्रकाश डाला गया है. हथियारों के प्रोडक्शन के मामले में अमेरिका ने ग्लोबल लीडर के रूप में अपनी स्थिति को बरकरार रखा हुआ है और टॉप-100 में से यहां की 41 कंपनियों ने 317 अरब डॉलर का योगदान दिया है, जो कि हथियार कंपनियों के कुल वैश्विक रेवेन्यू का 50% के आस-पास है. साल 2022 की तुलना में इसमें 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है.
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बात यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने की हो या फिर NATO सहयोगियों द्वारा सैन्य खर्च में वृद्धि, इससे अमेरिकी हथियार उत्पादकों को लाभ हुआ है. अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन, रेथियॉन और नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन जैसी कंपनियां मिसाइलों, ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम जैसे उन्नत हथियारों की आपूर्ति करते हुए सबसे आगे रहीं हैं.
दूसरे नंबर पर चीन का दबदबा
वैश्विक हथियार राजस्व में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता चीन (China) रहा है. देश में टॉप-100 में 9 कंपनियों ने इसमें 103 अरब डॉलर का रेवेन्यू जोड़ा है. हालांकि, चीन में हथियार प्रोडक्शन और बिक्री की ये चाल सालाना आधार पर 0.7% घटी है और ये 2019 के बाद से सबसे कम है. इसका कारण धीमी अर्थव्यवस्था (China Economy) और अन्य चुनौतियां बताई गई हैं. कुल मिलाकर अपनी आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, चीन का डिफेंस बिजनेस उसकी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं का अभिन्न अंग बना हुआ है.
भारत का हथियार राजस्व भी बढ़ा
बात करें भारत की, तो रिपोर्ट में बताया गया है कि India का आर्म्स रेवेन्यू 2023 में 6.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो इससे पिछले वर्ष की तुलना में 5.8% की बढ़ोतरी को दर्शाता है. SIPRI टॉप 100 में भारत की तीन कंपनियां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) शामिल हैं. हथियारों के उत्पादन से रेवेन्यू में आए इस उछाल का श्रेय भारत की मेक इन इंडिया (Make In India) पहल को जाता है. सरकार ने आयात पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए लड़ाकू जेट, मिसाइल और नौसेना के जहाजों जैसे हथियार प्रणालियों के स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है.
यहां हथियारों के रेवेन्यू में जोरदार बढ़ोतरी
साल 2023 पर आधारित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध वैश्विक हथियार उत्पादन को बढ़ावा देने में एक प्रमुख कारक साबित हुआ है. यूरोप, अमेरिका और तुर्की में डिफेंस फर्मों ने बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपने प्रोडक्शन में जोरदार इजाफा किया है. रिपोर्ट में कुछ खास कंपनियों और देशों के आंकड़ों को पेश किया गया है.
Türkiye’s Baykar: यूक्रेन में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने वाले अपने सशस्त्र ड्रोन के लिए जानी जाने वाली बेकर की हथियारों से इनकम साल 2023 में 25% बढ़कर 1.9 अरब डॉलर हो गई, इसमें 90% हिस्सा निर्यात का है.
Taiwan’s NCSIST: ताइवान की एनसीएसआईएसटी टॉप-100 में शामिल एकमात्र ताइवानी कंपनी है, जिसने राजस्व में 27% की वृद्धि दर्ज की है और ये 3.2 अरब डॉलर हो गई, जो चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच बढ़े हुए डिफेंस इन्वेस्टमेंट की ओर इशारा करती है. इसके अलावा ब्रिटेन (UK) के परमाणु हथियार प्रतिष्ठान ने 16% ज्यादा रेवेन्यू हासिल किया है, जो कि 2.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया.