विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत 2030 की समयसीमा से काफी पहले ही रूस के साथ वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार में 100 अरब अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य हासिल करने को लेकर आश्वस्त है. उन्होंने कहा कि व्यापार में चुनौतियां रही हैं, खासकर भुगतान और लॉजिस्टिक्स को लेकर और इस संबंध में अच्छी प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी कुछ काम बाकी है.
विदेश मंत्री ने यह बात व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर 25वें भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) में कही. बैठक में रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रूस के प्रथम उप प्रधान मंत्री डेनिस मंटुरोव ने किया.
‘व्यापार को और अधिक संतुलित करने की जरूरत’
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बैठक में जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार को ‘और अधिक संतुलित करने की जरूरत है और इसके लिए मौजूदा बाधाओं को दूर करने और अधिक सुविधाजनक प्रयास करने की आवश्यकता होगी.’ उन्होंने कहा कि नई दिल्ली भारत में आर्थिक अवसरों की खोज में मॉस्को की बढ़ती दिलचस्पी का स्वागत करती है और उसका पूरा समर्थन करती है.
उन्होंने कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्थाएं न केवल कई मायनों में एक-दूसरे की पूरक हैं, बल्कि कई वर्षों में बने विश्वास और भरोसे से लाभान्वित होती हैं. द्विपक्षीय व्यापार में अब 66 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि का अनुमान है और यह प्रभावशाली है.’
‘मेक इन इंडिया में बढ़ रही रूस की दिलचस्पी’
विदेश मंत्री कहा, ‘हमारा लक्ष्य है कि इसे और अधिक संतुलित करने की आवश्यकता है और इसके लिए मौजूदा बाधाओं को दूर करने और अधिक सुविधाजनक प्रयास करने की आवश्यकता होगी. व्यापार को आसान बनाने के साथ-साथ भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ एफटीए पर वार्ता में प्रगति भी होनी चाहिए.’ जयशंकर ने कहा कि भारत ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम में रूस की बढ़ती रुचि को देखा है और यह दोनों पक्षों के बीच संयुक्त उद्यमों और सहयोग के अन्य रूपों को प्रोत्साहित करेगा.