अरविंद केजरीवाल जेल से आने के बाद से तो जैसे बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीछे ही पड़े हैं. कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से सवाल पूछे थे, और सभी सवाल प्रधानमंत्री मोदी के इर्द-गिर्द ही घूम रहे थे.
दिल्ली विधानसभा में भी अरविंद केजरीवाल के वही तेवर देखने को मिले. अरविंद केजरीवाल ने अपना सवाल दोहराते हुए पूछा कि बीजेपी में 75 साल वाला नियम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर क्यों नहीं लागू होता?
कुछ दिन पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत का एक बयान आया था, जिसमें एक खास शब्द था, भगवान. माना गया कि संघ प्रमुख ने वो बात बीजेपी नेतृत्व के लिए कही थी. मोहन भागवत का कहना था, प्रगति का कोई अंत नहीं है… लोग सुपरमैन बनना चाहते हैं, लेकिन वह यहीं नहीं रुकते… फिर वह देवता बनना चाहते हैं… फिर भगवान.
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मोहन भागवत ने तो किसी का नाम नहीं लिया था, लेकिन अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा में नाम लेकर कहते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत ताकतवर हैं… उनके पास अथाह पैसा और संसाधन हैं, पर वो भगवान नहीं हैं.
कहते हैं, दुनिया में कोई तो शक्ति है… कोई उसे भगवान कहता है, या अल्लाह कहता है, जो आप वालों के साथ है. और फिर उनके भाषण में बीजेपी आ जाती है, अगर बीजेपी के दो लोगों को जेल में डाल दो तो उनकी पार्टी टूट जाएगी.
लेकिन अरविंद केजरीवाल के भाषण में कांग्रेस या राहुल गांधी का नाम बीजेपी और मोदी की तरह सुनने को नहीं मिलता – आखिर माजरा क्या है?
दिल्ली कांग्रेस तो हमलावर है
जैसे अरविंद केजरीवाल ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से 5 सवाल पूछा है, ठीक वैसे ही दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने भी आम आदमी पार्टी के नेता से पांच अलग सवाल पूछा है – और केजरीवाल की ही तरह उनसे जवाब भी मांगा है.
1. दिल्ली कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल से पूछा है, क्या जनता को गुमराह करने से केजरीवाल को मिली सुप्रीम कोर्ट की जमानत की शर्तें बदल जाएंगी?
2. क्या जनता का वोट हासिल करके केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिल जाएगी?
3. क्या जनता की अदालत को इवेंट बनाकर पेश करने पर केजरीवाल को ईमानदारी का सर्टिफिकेट जनता दे देगी?
4. केजरीवाल का ये बयान कि जनता बाइज्जत मुझे बरी करेगी, तभी वापस मुख्यमंत्री की कुर्सी बैठूंगा – क्या सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला नहीं है?
5. आबकारी घोटाले के आरोपित होने के नाते क्या उनका मुख्यमंत्री पद पर बैठना मर्यादित होगा?
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव का कहना है कि जब केजरीवाल को सत्ता और पद का लालच ही नहीं है तो फिर क्यों वो अग्निपरीक्षा के लिए जनता की अदालत में जा रहे है?
अव्वल तो दिल्ली कांग्रेस और राहुल गांधी का नजरिया आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के प्रति हमेशा अलग ही रहा है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद से दिल्ली के नेता और भी खफा नजर आते हैं.
क्या अरविंद केजरीवाल को राहुल गांधी की मदद की अब भी दरकार है?
लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ दिल्ली और हरियाणा दोनो राज्यों में चुनावी गठबंधन किया था, लेकिन दिल्ली विधानसभा का चुनाव साथ लड़ने से इनकार कर दिया था. बाद में दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने भी आम आदमी पार्टी के साथ जाने से फिर से मना करने लगे. चुनाव से पहले तो इसी बात पर अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे के साथ पार्टी भी छोड़ दी थी.
हरियाणा चुनाव में राहुल गांधी आम आदमी पार्टी को भी साथ रखना चाहते थे, और तब आप नेता संजय सिंह ने ऑफर का स्वागत भी किया था. उन दिनों अरविंद केजरीवाल जेल में हुआ करते थे – लेकिन फिर कुछ ही दिन बाद आम आदमी पार्टी की तरफ से हरियाणा में भी अकेले चुनाव लड़ने की बात की जाने लगी. धीरे धीरे उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी कर दी गई.
अभी तो हरियाणा में अरविंद केजरीवाल बीजेपी और कांग्रेस दोनो के खिलाफ अकेले चुनाव लड़ रहे हैं, और ऐसा भी नहीं लगता कि वो कांग्रेस के साथ कोई फ्रेंडली मैच खेल रहे हों. जाहिर है, दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिलने वाला है.
ऐसे में सिर्फ एक बात नहीं समझ में आ रही है कि आखिर अरविंद केजरीवाल कांग्रेस और राहुल गांधी के खिलाफ कुछ क्यों नहीं बोल रहे हैं? कहीं उनको ऐसा तो नहीं लगता कि बीजेपी से आगे की लड़ाई में भी उनको कांग्रेस और राहुल गांधी की मदद की जरूरत पड़ेगी?