भारत की सबसे लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में से एक भारत-बांगलादेश सीमा, पड़ोसी मुल्क (बांग्लादेश) में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता के बीच और भी चुनौतीपूर्ण हो गई है. लगभग 4,000 किलोमीटर लंबी यह सीमा हमेशा से भारतीय अधिकारियों के लिए एक बड़ी चुनौती रही है. हाल ही में बांग्लादेश द्वारा उन्नत ड्रोन तैनात किए जाने और शेख हसीना के बाद के सिनेरियो के कारण भारत के लिए सुरक्षा चिंताएं और बढ़ गई हैं.
India Today ने इस सीमा पर एक सप्ताह तक चलने वाली जांच की योजना बनाई ताकि इन कमजोरियों और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके पड़ने वाले असर को सामने लाया जा सके.
Operation Illegals-2: भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर कैसे होती है घुसपैठ, जानें कितना मजबूत है ये अवैध सिस्टम
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भारत-बांगलादेश सीमा, जो नदी, वन और दूरदराज के गांवों से होकर गुजरती है, एक जटिल क्षेत्र है जिसे सुरक्षित करना मुश्किल है. वर्षों की कोशिशों के बावजूद, इसके बड़े हिस्से अभी भी बाड़बंदी से मुक्त हैं, जिससे यह क्षेत्र घुसपैठ और तस्करी के लिए खुला और आसान रास्ता है. विशेष रूप से उत्तर बंगाल में स्थिति बेहद चिंताजनक है, जहां नदियां अक्सर अपना रास्ता बदल देती हैं और सीमाओं में बदलाव होता रहता है, और बाड़बंदी लगाना असंभव हो जाता है. यह घुसपैठियों और तस्करों के लिए आसान एंट्री पॉइंट बनाता है.
भारत-बांगलादेश सीमा के महत्वपूर्ण आंकड़े
कुल सीमा लंबाई: 4,096 किलोमीटर
पश्चिम बंगाल में सीमा: 2,217 किलोमीटर
पश्चिम बंगाल में बिना बाड़ वाली सीमा: 963 किलोमीटर
कूचबिहार की बिना बाड़ वाली सीमा: 50 किलोमीटर
प्राकृतिक अवरोध: कूचबिहार में धर्ला जैसी नदियां सीमा के रूप में कार्य करती हैं.
नदियों की बदलती धारा: बाड़बंदी को प्रभावी रूप से लगाने में अड़चन डालती हैं और नई कमजोरियां पैदा करती हैं.
नदी द्वीप: अवैध गतिविधियों के लिए शरण स्थल और ट्रांसपोर्ट पॉइंट के रूप में उपयोग किए जाते हैं.
बिना बाड़ वाली क्षेत्र: मवेशियों, तस्करी की वस्तुओं और जाली मुद्रा की तस्करी के लिए व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं.
अवैध तरीके से घुसपैठ कर वापस चले जाते हैं लोग
India Today की टीम ने सार्वजनिक डोमेन से पहले की घुसपैठ घटनाओं के फुटेज का विश्लेषण किया और कूचबिहार को अवैध गतिविधियों के लिए एक हॉटस्पॉट के रूप में पहचाना. यह जिला अपनी कठिन भौगोलिक स्थिति और नदी-आधारित सीमा के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे घुसपैठ और तस्करी के लिए प्रमुख केंद्र बनाता है. एक उदाहरण में, एक लोकल दलाल ने दिखाया कि लोग कैसे असुरक्षित क्षेत्रों के माध्यम से बांग्लादेश में प्रवेश कर सकते हैं. ये व्यक्ति, कुछ समय तक भारतीय सीमा के भीतर गांवों में रहकर, आराम से बांग्लादेश वापस लौट जाते हैं.
सुरक्षा बलों की तैनाती में कमी भी बड़ी संख्या
सुरक्षा बलों की तैनाती में कमी भी एक बड़ी समस्या है. सीमा सुरक्षा बल (BSF) के सूत्रों के अनुसार, चुनावी मौसम में उनके संसाधन सीमित हो गए थे, जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों की निगरानी के लिए केवल न्यूनतम बल तैनात किया गया था. इस कमी का फायदा घुसपैठियों और तस्करों ने उठाया, जिन्होंने भौगोलिक परिस्थितियों और समय का फायदा उठाकर सुरक्षा बलों से बचने में सफलता पाई.
इन अवैध कोशिशों के पीछे तस्करों और दलालों का सुनियोजित नेटवर्क काम करता है. इन एजेंटों ने India Today को बताया कि कैसे वे सुरक्षा तंत्र को भ्रष्ट करके और प्राकृतिक अवरोधों का लाभ उठाकर बांग्लादेश-भारत सीमा को पार कर जाते हैं. उत्तर बंगाल के फ्रंटियर पर घुसपैठ की कोशिशों में लगातार बढ़ोतरी हुई है, और तस्कर सुरक्षा उपायों में खामियों का फायदा उठाते हुए विभिन्न गतिविधियों में लिप्त हैं. खुफिया रिपोर्टों ने बांग्लादेश में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता के बीच चरमपंथी तत्वों के भारत में घुसने की आशंका को भी उजागर किया है.
शेख हसीना मामले के बाद बने सिनेरियो की चुनौती
शेख हसीना के बाद बांगलादेश में संभावित राजनीतिक और सुरक्षा संकट भारतीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे पैदा कर सकता है. बांग्लादेश में उन्नत ड्रोन तैनात होने से निगरानी और भी चुनौतीपूर्ण हो गई है, जिससे भारतीय बलों के लिए बांगलादेशी क्षेत्र में गतिविधियों पर नज़र रखना कठिन हो रहा है.
भारत को और पुख्ता उपाय अपनाने की जरूरत
भारत सरकार ने सीमा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन सीमा की लंबाई और जटिलता को देखते हुए और भी मजबूत उपायों की जरूरत है. उन्नत तकनीकों जैसे ड्रोन, सेंसर और थर्मल इमेजिंग की व्यापक और बड़े पैमाने पर तैनाती की जरूरत है. इसके साथ ही, चुनावों के मौसम में भी सुरक्षा बलों की निरंतर उपस्थिति तय की जानी चाहिए, ताकि दूर-दराज के क्षेत्रों पर नजर रखी जा सके.
तस्करी और अवैध गतिविधियों के नेटवर्क को तोड़ना भी बेहद जरूरी है. इन संगठित नेटवर्क्स को नियमित रूप से नष्ट करने के ऑपरेशन और अभियान जारी रखने से इन कमजोरियों का समाधान संभव होगा.
भारत-बांगलादेश सीमा केवल एक भौगोलिक सीमा नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की एक महत्वपूर्ण रेखा है. जैसे-जैसे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ रही है, वैसे-वैसे इस विशाल सीमा को सुरक्षित करने के लिए अधिक कोशिशों की जरूरत है. India Today की इस जांच ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत के पूर्वी सीमा को सुरक्षा की दृष्टि से एक मजबूत और समयबद्ध प्रतिक्रिया की जरूरत है, अन्यथा यह सीमा गंभीर खतरों के लिए एक मार्ग बन सकती है.