’53 करोड़ दो और 63 सीटों की EVMs हैक कर देंगे…’, महाराष्ट्र चुनाव में MVA सांसद को हैकर का ऑफर – Maharashtra elections hacker offer to MVA MP for hacking evms on 63 seats ntc

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महाराष्ट्र चुनाव में अब कुछ ही समय बचा है. इसके मद्देनजर राज्य का सियासी पारा हाई है. प्रचार-प्रसार का दौर जारी है. इस सबके बीच इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम एकबार फिर से चर्चा में हैं. कारण, खुद को व्हिसलब्लोअर बताने वाला एक शख्स सामने आया है, जो भारत की ईवीएम के बारे में विस्फोटक दावे कर सुर्खियां बंटोर रहा है. 

अमेरिकी रक्षा विभाग की तकनीक का इस्तेमाल करके ईवीएम हैक करने का दावा करने वाला सैयद शुजा महाराष्ट्र के नेताओं को फोन कर रहा है और उनकी पार्टी को ईवीएम हैक करके चुनाव जिताने का लालच दे रहा है. उसका दावा है कि वह अमेरिकी रक्षा विभाग में कॉन्ट्रेक्ट पर काम करता है.

हाल ही में उसने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के एक वरिष्ठ सांसद से संपर्क किया. इसके बाद सांसद ने आजतक की टीम से बातचीत की और पूरा घटनाक्रम बताया. आजतक की विशेष जांच टीम ने सांसद के निजी सहायक के रूप में शुजा से संपर्क किया और उसके दावों की जांच पड़ताल की. इस बीच यह बात सामने आई कि ये वही शख्स है जिसने कुछ वर्षों पहले दावा किया था कि सरकार ईवीएम के जरिए चुनाव प्रभावित कर रही है और अब वह खुद भी ऐसा करने का दावा कर रहा है. 

आजतक की टीम ने MVA सांसद का निजी सहायक बनकर शुजा से किया संपर्क-

रिपोर्टर: जैसा कि मैंने आपको बताया था मैसेज पर, हमारे सबसे महत्वपूर्ण सहयोगियों में से एक हैं, उनका जो काम देख रहे हैं, वो मेरे साथ हैं, उनको काम देना है और वह आश्वस्त हैं लेकिन आपसे फेस टू फेस मिलना चाहते हैं. तो क्या मैं वीडियो कॉल पर उन्हें जोड़ सकता हूं?

सैयद शुजा: मुझे एक मिनट दीजिए.

रिपोर्टर: मैं आपको परिचय करा रहा हूं, ये अल्पेश जी हैं. आपको बता होगा 102 सीटें इनको दी गई हैं. 75 सीटों पर यह काम करवाना चाहते हैं.

रिपोर्टर 2 (अल्पेश बनकर): संख्या 63 से 75 के बीच है, हम आपको फाइनल नंबर चर्चा करने के बाद बता देंगे. 

सैयद शुजा: 63 हो सकता है.

रिपोर्टर: 63 का कंफर्म हो जाएगा? 

सैयद शुजा: हां 63 फंफर्म हो जाएगा.

रिपोर्टर: 63 जो हम नाम देंगे वो न?

सैयद शुजा: आप दे दो मुझे नाम. मेरे पास 105 में से 63 मशीकों का एक्सेस है. लेकिन मुझे VVPAT मशीन की डिटेल चाहिए. 

रिपोर्टर: तो ये कौन सी 63 सीटें होंगी, ये मुझे बता सकते हैं? ताकि उसमें हम निकालकर डिटेल तैयार कर लें. 

सैयद शुजा: मेरे पास एक्सेस तो 288 में से 281 का है. लेकिन कुछ जहग ऐसी हैं जहां पर फ्रीक्वेंसी आइसोलेशन अंसभव है. 

शुजा ने ना केवल ईवीएम को हैक करके पार्टी को जिताने का दावा किया बल्कि इसके बदले 6 मिलियन डॉलर (लगभग 52-53 करोड़ रुपये) की डिमांग भी की. 

रिपोर्टर: अगर हम 63 सीटों का कराते हैं तो इसका कितना खर्चा आ जाएगा?

सैयद शुजा: फिलहाल सिग्नलिंग सिस्टम 7 का टर्मिनल एक्सेस अभी लॉक करते हैं तो वो पड़ रहा है करीब 6 मिलियन 72 हजार. 

रिपोर्टर: ये यूएस डॉलर में है या रुपये में?

सैयद शुजा: ये डॉलर में है. भारतीय रुपये में बात करें तो ये करीब 52 या 53 करोड़ बैठता है. 

गणित में पीएचडी माइनर होने का दावा करने वाले शुजा ने फ्रीक्वेंसी आइसोलेशन और क्षेत्रों को स्कैन करने और ईवीएम सिग्नल में हेरफेर करने के लिए मशीनों में गड़बड़ी करने के बारे में भी बताया. हालांकि, ये दावे पूरी तरह से झूठे पाए गए और इनमें कोई तकनीकी आधार नहीं था. 

शुजा ने दावा किया कि उसे किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो एक फोन लेकर जाए और एक विशेष एप्लिकेशन तक पहुंचे, जो क्षेत्र को स्कैन करेगा और एक ऐसी फ्रीक्वेंसी के साथ आएगा जिसे अलग किया जा सके. ई

रिपोर्टर: आपने शुरू में हमसे 20 लोगों की डिमांड की थी, अब आपको कितने लोग चाहिए?

सैयद शुजा: 60 से 64 लोग चाहिए ग्राउंड पर.

रिपोर्टर 2 (अल्पेश): ये लोग ग्राउंड पर क्या करेंगे और इनका क्या रोल होगा?

सैयद शुजा: मुझे सिग्नल आइसोलेट करने जरूरत होगी. अब भारत में 2जी नेटवर्क काम नहीं करता है. सारे नेटवर्क 4जी और 5जी है. तो 2जी नेटवर्क को आइसोलेट करने के लिए मुझे फ्रीक्वेंसी 102 से 115 चाहिए. 

रिपोर्टर 2 (अल्पेश): तो ये लोग हम आपको देंगे या आपके अपने लोग रहेंगे?

सैयद शुजा: मुझे कोई ऐसा चाहिए जो फोन में एक विशेष एप्लिकेशन लेकर जाएगा और एरिया को स्कैन करेगा. इससे ये पता चलेगा कि मुझे कौन सी फ्रीक्वेंसी आइसोलेट करनी है. एक फ्रीक्वेंसी पुलिस का वॉकी-टॉकी इस्तेमाल करता है. और लगभग उसी की शॉर्टवेव में ईवीएम फ्रीक्वेंसी मैच करती है. तो मुझे यही जानकारी चाहिए ताकि फ्रीक्वेंसी कोई इंटरसेप्ट न कर ले. 

रिपोर्टर: आपको EVMs की क्या जानकारी चाहिए होगी?

शुजा: कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और वीवीपैट कौन सी पोलिंग बूथ पर जाएगा. वो पीडीएफ में आता है और उसका सीक्वेंस भी होता है. ईवीएम में सबसे बड़ा चैलेंज है कैंडिडेट और पार्टी का सिक्वेंस कोड. जैसे कांग्रेस का INNP, BJP का INBP है. क्षेत्रीय पार्टी का अलग होता है. हर उम्मीदवार का उसके साथ सीक्वेंस जुड़ता है. मान लीजिए 300 पोलिंग बूथ है तो इनमें से कांग्रेस का उम्मीदवार 50 सीट पर ईवीएम में नंबर 1 पर रहेगा. वहीं अन्य 50 पर कांग्रेस का ही उम्मीदवार 2 नंबर पर हो सकता है. अब अगर मैं 100 मशीनों पर एक साथ काम करता हूं तो मेरे हाथ से बीजेपी जीत जाएगी. तो ये नहीं चाहता मैं. अगर मेरे पास वीवीपैट की डिटेल है तो मैं उससे बटन पर कौन सा उम्मीदवार है, वो पता कर सकता हूं. इसकी जानकारी आप रिटर्निंग ऑफिस से पूछो. वो आपको दे देंगे.  

रिपोर्टर: वीवीपैट की जानकारी मिलने के बाद आप हैकिंग कैसे करेंगे? क्या यह मतदान के बाद होगा?

शुजा: मैं इसे पहले से प्रोग्राम करूंगा और अगर यह बीजेपी के पक्ष में पहले से प्रोग्राम है, तो मैं चुनाव के दिन ट्रांसमिशन शुरू होने पर इसे पलट दूंगा. मैं इसे इंटरसेप्ट करूंगा और अपनी तरफ से एक फाइल (चुनाव आयोग को) भेजूंगा और उन्हें लगेगा कि यह उनकी फाइल है.

रिपोर्टर: क्या यह चुनाव के दिन या मतगणना के दिन किया जा सकता है?

शुजा: दो से तीन दिन महत्वपूर्ण हैं. अगर ईवीएम चालू नहीं भी है, तो भी ट्रांसमिशन होता है. जब मशीन खोली जाती है, तो एक नई फाइल आती है और फिर ट्रांसमिशन की गिनती होती है. यह उनके लिए आसान है. मुझे अगले तीन दिनों तक सतर्क रहना होगा और हर घंटे स्कैन करना होगा कि ट्रांसमिशन हो रहा है या नहीं.

ईवीएम ‘व्हिसलब्लोअर’ के दावों का पर्दाफाश

यह पहली बार नहीं है जब शुजा ने दावा किया है कि वह ईवीएम को हैक कर सकता है और एक पार्टी के पक्ष में मशीनों में हेराफेरी कर सकता है. 21 जनवरी, 2019 को, सैयद शुजा ने लंदन में भारतीय पत्रकार संघ (आईजेए) द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहां उसने वीडियो कॉल के ज़रिए कई विस्फोटक दावे किए. शुजा ने आरोप लगाया कि उसने 2009 से 2014 तक इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) के साथ काम किया था और 2014 के लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल की गई ईवीएम को विकसित करने वाली टीम का हिस्सा था.

तब उसने कहा था कि इन मशीनों के साथ स्पेसिफिक फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करके छेड़छाड़ की जा सकती है, जिससे संभावित रूप से चुनाव परिणामों में हेरफेर हो सकता है. 2013 में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के साथ काम करते हुए यह हैक विकसित किया था. इसके अलावा, उसने ईवीएम की हैकिंग को हैदराबाद के किशनबाग में सांप्रदायिक झड़पों से जोड़ा, जिसे बाद में स्थानीय पुलिस ने निराधार बताया.
शुजा के दावे ईवीएम हैकिंग के तकनीकी पहलुओं तक सीमित नहीं थे. उसने यह भी सनसनीखेज आरोप लगाया था कि 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के पक्ष में धांधली की गई थी.

पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इन दावों को मुद्दा बनाया था और ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे. तब आजतक ने इन दावों की पड़ताल की थी और पाया था कि इनमें कोई दम नहीं है. लेकिन इन दावों के पांच साल बाद महाराष्ट्र चुनाव में फिर यही शख्स दोबारा सुर्खियों में आया है.

चुनाव आयोग ने ईवीएम हैकिंग के दावों को खारिज किया

ईसीआईएल और चुनाव आयोग ने शुजा के आरोपों को तुरंत खारिज कर दिया. ईसीआईएल ने एक बयान जारी कर इस बात से इनकार किया कि शुजा ने संगठन के लिए काम किया था या 2009 से 2014 के बीच ईवीएम के डिजाइन और विकास में शामिल था.

ईसीआईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, रियर एडमिरल (सेवानिवृत्त) संजय चौधरी ने कहा कि शुजा के नियमित कर्मचारी होने या किसी भी क्षमता में ईसीआईएल से जुड़े होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. चुनाव आयोग ने भी शुजा के दावों को खारिज कर दिया और दिल्ली पुलिस में एक पुलिस शिकायत दर्ज की, जिसके पर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. चुनाव आयोग ने लगातार कहा है कि ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और शुजा के आरोप निराधार हैं.

दावों की फैक्ट चेकिंग और आलोचना

कई विशेषज्ञों और तथ्य-जांच पहलों ने शुजा के दावों की जांच की है, और पाया है कि उनमें विश्वसनीयता की कमी है. हैदराबाद स्थित ईवीएम विशेषज्ञ हरि कृष्ण प्रसाद वेमुरु, जो पहले ईवीएम हैकिंग बहस में शामिल रहे हैं, ने शुजा के तर्कों को “अतार्किक” करार दिया और उसके दावों पर भरोसा नहीं किया.

वेमुरु ने ईवीएम आर्किटेक्चर को विश्वविद्यालयों और नैतिक हैकरों के लिए खोलने की वकालत की ताकि वे किसी भी खामी की पहचान कर उसे ठीक कर सकें.

पुणे स्थित व्हाइटहैट हैकर और क्रिप्टोलॉजी पर भारतीय सशस्त्र बलों के सलाहकार अजीत हट्टी ने भी शुजा के दावों को खारिज कर दिया. हट्टी ने बताया कि ईवीएम को हैक करने के लिए जियो से कम आवृत्ति वाले संकेतों का उपयोग करने के बारे में शुजा के दावे अविश्वसनीय है, खासकर तब जब 2014 के चुनावों के दौरान जियो चालू नहीं था और ईवीएम वायरलेस तरीके से संचार नहीं कर सकते.

कनाडा में बैठकर झूठे दावे कर रहा शुजा

शुजा की शैक्षणिक और व्यावसायिक साख भी जांच के दायरे में है. उसका दावा है कि उसने जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हैदराबाद (JNTUH) से गणित में पीएचडी माइनर की है और हैदराबाद के शादान कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बी.टेक की है. हालाँकि, जाँच में इन संस्थानों में उसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला.

शिकागो में शरण के तहत वर्तमान में रह रहे शुजा का दावा है कि वह अमेरिकी रक्षा विभाग के लिए एक कॉन्ट्रैक्टर के रूप में काम करता है. उसे 1 मार्च, 2018 को अमेरिका द्वारा शरण दी गई थी, जब उसने आरोप लगाया था कि 2014 के चुनावों के दौरान ईवीएम से छेड़छाड़ का पता चलने पर उस पर और उसके सहयोगियों पर हैदराबाद में हमला किया गया था. हालाँकि, इन दावों की सत्यता अभी भी सत्यापित नहीं है.

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