किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में किसान अपने ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन के तहत राष्ट्रीय राजधानी की ओर पैदल मार्च करेंगे. यह मार्च 6 दिसंबर से शंभू बॉर्डर से शुरू होगा, जिसमें लगभग 100 लोग शामिल होंगे.
अपने फैसले के बारे में बात करते हुए पंधेर ने कहा, ‘हम यहां पिछले आठ महीनों से बैठे हैं. हमारे ट्रैक्टरों को मॉडिफाइड कहकर हम पर आरोप लगाया गया, इसलिए हमने अब पैदल दिल्ली जाने का फैसला किया है.’ उन्होंने बताया कि किसानों के आंदोलन को हरियाणा के खाप पंचायतों और व्यापारिक समुदाय सहित व्यापक समर्थन मिल रहा है.
क्या हैं किसानों की मांगें?
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किसानों ने अपनी 12 मांगें पेश की हैं, जिनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग प्रमुख है. पंधेर ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा, ‘हरियाणा प्रशासन ने हम पर हथियार रखने का आरोप लगाया है, लेकिन हम शांतिपूर्ण तरीके से मार्च करेंगे.’
हरियाणा सरकार ने इसके जवाब में अंबाला में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है, जिससे सार्वजनिक सभाओं और जुलूसों पर रोक लगाई गई है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती, ड्रोन और वाटर कैनन जैसी सुरक्षा व्यवस्थाएं की गई हैं.
‘हमें शांतिपूर्वक मार्च करने दे सरकार’
किसानों ने सरकार से उनके मार्च को शांतिपूर्वक होने देने की अपील की है. पंधेर ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सरकार हमें विरोध करने का हमारा लोकतांत्रिक अधिकार देने की अनुमति दे.’ यह मार्च केंद्र सरकार के साथ कई महीनों से रुके संवाद के बाद हो रहा है.
पंधेर ने कहा, ‘फरवरी में हमने केंद्र के साथ चार दौर की बातचीत की थी, लेकिन 18 फरवरी के बाद से कोई बातचीत नहीं हुई है.’ उन्होंने सरकार से उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए बातचीत फिर से शुरू करने का आह्वान किया.