सीरिया में हालात बद से बदतर हो गए हैं, सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग चुके हैं, सेना ने असद के देश छोड़ने की पुष्टि करते हुए कहा कि राष्ट्रपति की सत्ता खत्म हो चुकी है. सीरिया में पिछले 11 दिनों से विद्रोही गुटों और सेना के बीच कब्जे के लिए लड़ाई चल रही थी, विद्रोही लड़ाकों ने रविवार को राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया, वो सड़कों पर गोलीबारी करके जीत का जश्न मना रहे हैं.
सीरिया की हवाओं में बारूद की गंध घुली हुई है, सड़कों पर जबरदस्त फायरिंग हो रही है, सीरिया में विद्रोही बेकाबू हो गए हैं. ये वही सीरिया है, जहां खूंखार आतंकी संगठन ISIS ने अपने जड़ें जमाई थीं, अब एक बार फिर वैसा ही खतरा फिर मंडरा रहा है. गुरुवार को सीरियाई विद्रोहियों ने हमा शहर पर कब्जा जमा लिया था, महज हफ्तेभर के भीतर बिजली की रफ्तार से विद्रोहियों ने सीरिया के 2 बड़े शहरों से राष्ट्रपति असद की सेना को खदेड़ दिया है. पहले अलेप्पो और फिर चौथे सबसे बड़े शहर हमा में विद्रोहियों ने अपनी जीत का जश्न मनाया.
धार्मिक नारों के बीच ऑटोमैटिक राइफलों से निकलती गोलियां गूंज रही हैं, विद्रोहियों ने हमा में हाफ़िज़ अल-असद की मूर्ति भी गिरा दी. हाफिज मौजूदा राष्ट्रपति बशर अल असद के पिता थे और साल 1982 में उन्होंने हमा नरसंहार को अंजाम दिया था, जिसमें शहर में लगभग 30,000 लोगों की हत्या की गई थी. इसे असद के खिलाफ सुन्नियों के सीरियाई मुस्लिम ब्रदरहुड के विद्रोह के बाद अंजाम दिया गया था. हाफिज की मूर्ति गिराने के साथ ही विद्रोही जीत का जश्न मना रहे हैं, लेकिन सीरियाई सेना कह रही है कि उसके लिए ये झटका नहीं है. उसके मुताबिक उसने सोच-समझ कर कदम पीछे खींचा है. सीरियाई सेना शहर के बाहर फिर से तैनात हो रही है. उसका मकसद शहरी युद्ध से बचना है ताकि बेकसूर लोगों का खून ना बहे.
रूसी बमबारी भी विद्रोहियों को नहीं रोक सकी
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बीते 13 साल में ऐसा पहली बार हुआ है, जब असद के खिलाफ इतनी तेजी से विद्रोही आगे बढ़ रहे हैं. वो असद… जिन्हें रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ ही ईरान का भी समर्थन प्राप्त है. रूस ने असद के समर्थन में विद्रोहियों पर हवाई बमबारी भी की, लेकिन ये बमबारी उन्हें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकी. दूसरी तरफ, हमा शहर पर जीत के बाद विद्रोहियों ने यहां की जेल में बंद कैदियों को रिहा कर दिया. विद्रोहियों ने इसका वीडियो भी जारी किया था. इसमें कैदियों को हमा जेल से बाहर निकलते और अपनी आजादी पर खुश होते दिखाया गया है.
सीरिया की जंग में दोनों तरफ आतंकी संगठन
दूसरी तरफ असद की मदद में जहां रूस और ईरान पहले से ही हैं, वहीं अब हिज्बुल्लाह ने भी साफ कर दिया है कि वो सीरिया का साथ देगा. हिज्बुल्लाह के नए लीडर नईम कासेम ने कहा कि विद्रोहियों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए हम सीरिया के साथ खड़े हैं, यानी सीरिया में लड़ी जा रही जंग में दोनों तरफ आतंकी संगठन हैं. एक तरफ अलकायदा के साथ रह चुका हयात तहरीर अल शाम है, तो दूसरी तरफ है हिज्बुल्लाह. लिहाजा, आने वाले समय में सीरिया फिर एक बार वैसी ही तबाही देखने वाला है, जिसने उसके तमाम शहरों को पहले ही बर्बाद कर रखा है.
विद्रोहियों का दमिश्क के अलावा 4 बड़े शहरों पर कब्जा
असद के देश छोड़ने के बाद सीरियाई प्रधानमंत्री ने विद्रोहियों को सत्ता सौंपने का प्रस्ताव दिया है. PM मोहम्मद गाजी अल जलाली ने एक वीडियो में कहा कि वो देश में ही रहेंगे और जिसे भी सीरिया के लोग चुनेंगे, उसके साथ मिलकर काम करेंगे. बता दें कि एक हफ्ते में विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क के अलावा सीरिया के चार बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है, अब सवाल ये है कि सीरिया में अब आगे क्या होगा? विद्रोहियों की जीत के साथ ही सीरिया में बशर अल-असद के 24 साल के शासन और देश में 13 साल से चल रहे गृह युद्ध का अंत हो गया है. अब सीरिया की राजधानी दमिश्क पर हयात अल-शाम का कब्जा है. कई लोग चौराहों पर सेना के टैंक पर चढ़कर जश्न मना रहे हैं. हालांकि जीत के इस जश्न के बीच दमिश्क के लोगों के दिलों-दिमाग में कई चिताएं भी हैं कि सीरिया में अब आगे क्या होगा?
दुकानें और ATM बंद, जरूरी सामान जुटा रहे लोग
यही वजह है कि देश में हुए इस तख्तापलट के बीच तमाम लोग जरूरी सामानों को तलाश रहे हैं. शहर की दुकानें और ATM बंद हैं, ऐसे में लोग परेशान नजर आ रहे हैं. सीरिया में असद सरकार के पतन ने पहले से ही उथल-पुथल वाले इस क्षेत्र में और अधिक अनिश्चितता का खतरा पैदा कर दिया है. कुछ अरब देशों ने पहले तो कई साल असद सरकार से किनारा किया, लेकिन पिछले कुछ समय में उनके साथ राजनयिक संबंधों को सामान्य करना शुरू कर दिया था. ऐसे में विद्रोहियों के सीरिया पर कब्जे ने सीरिया से राजनीतिक संबंधों को लेकर नया प्रश्न चिन्ह लगा दिया है? बड़ी बात ये भी है कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश हयात तहरीर अल-शाम को लेकर सतर्कता बरतते रहे हैं.
अमेरिका-रूस और विद्रोहियों के सामने ये चुनौतियां
सीरिया के भविष्य को लेकर संशय के बादल और भी गहरे हो गए हैं. लोग हालात के और खराब होने की आशंकाओं से डरे हुए हैं. विद्रोही गुटों ने भले ही 13 साल के संघर्ष के बीच असद को हटाने का अपना मकसद पूरा कर दिया हो, लेकिन अब इससे आगे का रास्ता भी उनके लिए मुश्किलों भरा ही है, क्योंकि विद्रोही गुट के नेताओं को पता है कि अगर उनकी पहचान जिहादी संगठन के रूप में बनती है, तो वो आसानी से सीरियाई सरकार में शामिल नहीं हो सकेंगे. ऐसी सूरत में वो देश का नेतृत्व करने की अपनी आकांक्षाओं को साकार नहीं कर सकेंगे. चाहे विद्रोही अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल हों या नहीं, लेकिन इस क्षेत्र की प्रमुख शक्तियों- इजरायल, ईरान और तुर्की… सभी के हित सीरियाई गृहयुद्ध के नतीजों से जुड़े हैं, जिसका मतलब है कि असद का तख्तापलट ना केवल मध्य पूर्व पर असर करेगा, बल्कि अमेरिका और रूस जैसी वैश्विक शक्तियों पर इसका असर होगा. यानि अनिश्चितताएं कई हैं और चिताएं भी कई.
सीरिया के आगे अब ये सवाल
देश में सत्ता परिवर्तन की तैयारी हो रही है, लेकिन अभी ये साफ नहीं है कि देश में सरकार कैसे बदली जाएगी. कौन सीरिया का नेता बनेगा. सीरियाई सेना के पीछे हटने के बाद भी पूरी दुनिया की नजरें यहां हुए घटनाक्रम पर बनी हुई हैं. सीरिया से आ रही तस्वीरों के बीच यहां के भविष्य की चिंता बड़ी हैं. इस बीच इजरायल ने दावा किया कि अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए उनकी सेना ने गोलान हाइट्स में इजराइल और सीरिया के बीच बने बफर जोन में प्रवेश किया है. सीरिया में 27 नवंबर को सेना और सीरियाई विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम के बीच 2020 के सीजफायर के बाद फिर संघर्ष शुरू हुआ था, इसके बाद 1 दिसंबर को विद्रोहियों ने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया. इसे राष्ट्रपति बशर अल असद ने सीरिया की जंग के दौरान 4 साल की लड़ाई के बाद जीता था, लेकिन इस बार असद की एक न चली, फिलहाल वो देश छोड़ चुके हैं.