संविधान में इंदिरा सरकार के वो 4 संशोधन… जिन्हें लेकर अमित शाह ने कांग्रेस को घेरा – Amit Shah slams Congress in Rajya Sabha four amendments of Indira government in the Constitution ntc

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को राज्यसभा में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर चर्चा में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस के शासन में हुए संविधान संशोधनों की तुलना की. उन्होंने कहा कि 16 साल के शासन में हमने 22 बार और 55 साल के शासन में कांग्रेस ने 77 संविधान में परिवर्तन किया. गृह मंत्री ने दोनों के चार-चार संविधान संशोधनों की तुलना करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा.

‘पहला संशोधन जवाहरलाल नेहरू ने किया’

अमित शाह ने कहा, ‘मैं दोनों प्रमुख दलों (कांग्रेस और बीजेपी) के चार-चार संविधान संशोधनों के बारे में बताना चाहूंगा. पहला संशोधन हुआ, 18 जून 1951 को. संविधान सभा को ही यह संशोधन करना पड़ा. संविधान बनाने के बाद, उसे स्वीकार करने के बाद कांग्रेस में आम चुनाव में जाने तक का भी धैर्य नहीं था. अभी लोकसभा, राज्यसभा बनी भी नहीं थी कि ये लोग संशोधन लेकर आए जिसके तहत 19(ए) जोड़ा गया. इसका उद्देश्य क्या था, इसका उद्देश्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करना था. यह किसने किया, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने.’

‘इंदिरा गांधी ने अपने खिलाफ न्यायिक जांच को रोक दिया’
 
गृह मंत्री ने कहा, ‘इसके बाद 24वां संविधान संशोधन जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी ने किया. 5 नवंबर 1971 को संविधान में संशोधन किया गया, जिसके माध्यम से संसद को नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कम करने का अधिकार दे दिया गया. 39वें संशोधन ने तो सभी सीमाओं को पार कर दिया. 10 अगस्त 1975 का दिन हमारे संविधान के इतिहास में काले अक्षरों से लिखा जाएगा जब 39वां संविधान संशोधन आया. 39वां संशोधन क्या था. इंदिरा गांधी के चुनाव को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अमान्य घोषित कर दिया था. उन्होंने संशोधन से प्रधानमंत्री पद की न्यायिक जांच पर ही प्रतिबंध लगा दिया.’

उन्होंने कहा, ‘यह संविधान संशोधन रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट से किया गया यानी पहले भी कोई मुकदमा अगर रहा हो तो वो भी खारिज हो जाए. हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं मैं प्रधानमंत्री नहीं प्रधानसेवक हूं और ये कहते हैं कि मुझ पर कोई मुकदमा नहीं हो सकता, मैं शासक हूं.’

‘हार के डर से बढ़ा दी लोकसभा की अवधि’

अमित शाह ने कहा, ‘3 जनवरी 1977 को 42वां संविधान संशोधन किया गया जिसमें लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 साल कर दिया क्योंकि अभी चुनाव होगा तो हम हार जाएंगे इसलिए लोकसभा को ही लंबा कर दो. दूसरा, कुछ कानून पारित करने थे जिसके लिए संसद और विधानसभा में कोरम के नियम को बदल दिया गया. पांच लोग भी हैं तो कार्यवाही चला लो. राष्ट्रपति शासन की अवधि भी 6 महीने तक बढ़ा दी गई.’

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