संभल: मुस्लिम बहुल इलाके में मिले 46 साल पुराने मंदिर की मूर्ति कितनी पुरानी? कार्बन डेटिंग के जरिए पता करने की तैयारी – UP Sambhal temple Administration writes to ASI for carbon dating steps up security at site ntc

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उत्तर प्रदेश के संभल में मुस्लिम बहुल इलाके में बंद मिले 46 साल पुराने मंदिर की कार्बन डेटिंग कराने की तैयारी चल रही है. संभल के जिला प्रशासन ने भस्म शंकर मंदिर, शिवलिंग और वहां मिले कुएं की कार्बन डेटिंग कराने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखा है. इस जांच के जरिए प्रशासन पता करना चाहता है कि मंदिर और इसकी मूर्ति आखिर कितनी पुरानी है.

बता दें कि बिजली चोरी रोकने पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम ने 1978 से बंद पड़े इस मंदिर को ढूंढा था. इसके बाद 15 सितंबर को इस मंदिर में विधि-विधान और मंत्रोचारण के साथ पूजा आरती की गई. जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया के मुताबिक यह कार्तिक महादेव का मंदिर है. यहां एक कुआं मिला है, जो अमृत कूप है. मंदिर मिलने के बाद यहां 24 घंटे सुरक्षा के लिए टीम तैनात की गई है. सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. यहां जो अतिक्रमण है, उसे हटाया जा रहा है.

जामा मस्जिद से 1 KM है दूरी

मंदिर के पुजारी महंत आचार्य विनोद शुक्ला ने बताया कि श्रद्धालुओं ने मंदिर में आना और पूजा-अर्चना करना शुरू कर दिया है. स्थानीय निवासी मोहित रस्तोगी ने मंदिर के फिर से खुलने पर खुशी का इजहार किया है. उन्होंने कहा,’मैंने अपने दादाजी से इस मंदिर के बारे में सुना था.’ बता दें कि यह मंदिर संभल के खग्गू सराय इलाके में है, जो जामा मस्जिद से सिर्फ एक किलोमीटर दूर है. जामा मस्जिद के आसपास के इलाके में ही 24 नवंबर को मस्जिद के सर्वे के आदेश के बाद हिंसा हुई थी.

1978 के दंगों के बाद से बंद था मंदिर

लोगों का दावा है कि सांप्रदायिक दंगों और हिंदू आबादी के विस्थापन के कारण ये मंदिर 1978 से बंद पड़ा था. नगर हिंदू महासभा के संरक्षक विष्णु शंकर रस्तोगी (82) ने बाताया कि वह मैं जन्म से ही खग्गू सराय में रहते आए हैं. 1978 के दंगों के बाद हिंदू समुदाय को इस इलाके से पलायन करना पड़ा था. तब से ही हमारे कुलगुरु को समर्पित यह मंदिर बंद था.

मंदिर में हनुमान जी, शिवलिंग और नंदी

46 सालों से बंद पड़ा ये मंदिर सपा सांसद जियाउररहमान बर्क के घर से 200 मीटर की दूरी पर मिला है. मंदिर के अंदर हनुमान जी की प्रतिमा, शिवलिंग और नंदी स्थापित हैं. फिलहाल यहां डीएम और एसपी ने सुरक्षा के चाक-चौबंद व्यवस्था की है. 

खुदाई में एक कुआं भी मिला

संभल के CO अनुज चौधरी ने कहा कि ये मंदिर कई सालों से है. 1978 में जब दंगा हुआ था तब भी मंदिर यहीं था. यहां सभी को पता है कि दंगे के बाद यहां से हिंदू छोड़कर चले गए थे. मंदिर की जानकारी सामने आने के बाद खुदाई में यहां एक कुआं भी मिला है, जिसे ढक दिया गया था. 

2012 में गया आखिरी हिंदू परिवार

बता दें कि मंदिर की बात सामने आने के बाद आजतक ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर स्थानीय मुस्लिम लोगों से बातचीत की थी. इस दौरान शरिक और मोहम्मद सलमान ने बताया था कि इलाके में कई हिंदू परिवार रहते थे, जो मंदिर में पूजा पाठ करते थे. धीरे-धीरे करके हिंदू परिवार यहां से चले गए, तब से मंदिर में पूजा पाठ नहीं होती थी. आखिरी हिंदू परिवार साल 2012 में गया था.

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