जब से संसद सत्र की शुरुआत हुई है, तब से लेकर अब तक कांग्रेस और सपा के रिश्ते दिनों दिन बिगड़ते जा रहे हैं. अगर उनके रिश्तों की क्रोनोलॉजी समझी जाए तो एक तरफ संसद में अखिलेश यादव का थैंक यू कांग्रेस कहकर तंज कसना! रामगोपाल यादव का राहुल गांधी के दौरे को फॉर्मेलिटी करार देना! संसद में विपक्ष की आगे की सीट में से अवधेश प्रसाद की सीट को पीछे कर देना, उसके बाद आजम खान का समाजवादी पार्टी पर जेल से लिखी चिट्ठी के जरिए खुलकर हमला बोल देना और और संभल और हाथरस में राहुल गांधी का मुसलमान और दलितों के बीच जाना. यह ऐसे मुद्दे हैं, जिसने सपा और कांग्रेस की केमिस्ट्री को अंदर से हिला दिया है .
रही सही कसर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आईपी सिंह ने पूरी कर दी, जब राहुल गांधी की संसद में मोदी और अडानी के मुखौटे के साथ वाले प्रदर्शन को एनएसयूआई के छात्र आंदोलन और प्रदर्शन से तुलना कर दी. यह सब दिखा रहा है कि अब सपा और कांग्रेस के बीच की तल्खी कुछ इस कदर बढ़ गई है, की कभी भी रिश्तों में बड़ी दरार खींच सकती है.
कांग्रेस से क्यों खफा है सपा?
यही नहीं राहुल गांधी को INDIA गठबंधन के नेता पद से हटाने की शुरू हुई मुहिम में भी सपा अपनी ताकत लगा सकती है. यह वह तमाम बातें हैं जिसकी चर्चा कांग्रेस और सपा के रिश्तों को लेकर की जा रही है, लेकिन समाजवादी पार्टी कांग्रेस की कुछ बातों से ज्यादा खफा है. समाजवादी पार्टी को राहुल गांधी का यूपी में मुसलमान और दलितों के बीच ओवर एक्टिविज्म रास नहीं आ रहा.
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सपा के कोर वोटबैंक में सेंधमारी!
जिस तरीके से संभल पर अखिलेश यादव के भाषण के दौरान राहुल गांधी सदन से नदारत रहे और संसद का बहिष्कार कर संभल पीड़ितों से मिलने निकल गए. यही नहीं हाथरस घटना के कई साल बाद गुरुवार को अचानक राहुल गांधी को हाथरस की याद आई और पीड़ित दलित परिवार से राहुल मिलने पहुंच गए. यह सब ऐसी बातें हैं, जो समाजवादी पार्टी को परेशान कर रही हैं. सपा को लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी अब उनके ही कोर वोटबैंक में सेंधमारी करने में जुट गई है और अपना वोट मुसलमान और दलितों में ही तलाश रही है.
कांग्रेस या चंद्रशेखर के संपर्क में आजम!
उधर, समाजवादी पार्टी नेता आजम खान का मुसलमानों के मुद्दे पर इशारों में समाजवादी पार्टी को कटघरे में खड़ा करना भी समाजवादी पार्टी को नागवार गुजर रहा है. समाजवादी पार्टी को लग रहा है कि आजम खान कहीं ना कहीं कांग्रेस या चंद्रशेखर आजाद रावण के संपर्क में हैं. यही वजह है कि रामपुर में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आजम खान के खिलाफ हल्ला बोल दिया है और बाकायदा आजम खान के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया है. यह सब ऐसी बातें हैं, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है कि रामपुर में सपा के नेता और कार्यकर्ता आजम खान के खिलाफ खड़े हो जाएंगे.
नेताओं के बीच बढ़ती जा रही है खाई
सपा और कांग्रेस की लड़ाई में आजम खान भी एक नई धुरी बनकर उभर रहे हैं. सपा की परेशानी यह है कि उसके कोर वोट बैंक यानी मुस्लिम वोटरों को रिझाने में एक तरफ कांग्रेस लगी हुई है, जबकि आजम खान मुसलमान को भावनात्मक रूप से सपा के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की यह लड़ाई कहां जाकर रुकेगी यह कहना मुश्किल है. ऊपर से सब कुछ सुहावना दिख रहा है, लेकिन दोनों पार्टियों और बड़े नेताओं के बीच की खाई भी बढ़ती जा रही है.