रमेश बिधूड़ी ने अपनी स्टाइल में मोर्चा संभाला, क्या केजरीवाल को BJP ऐसे ही घेरेगी? | Opinion – ramesh bidhuri comments on atishi priyanka gandhi and atishi part of bjp strategy against kejriwal in delhi election opnm1

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रमेश बिधूड़ी का बयान, असल में, उनका निजी चुनाव निशान है. हो सकता है, वो फायदे में भी रहें. अपना चुनाव भी जीत जायें, लेकिन बीजेपी? 

मुूख्यमंत्री आतिशी और अरविंद केजरीवाल को पूरी दिल्ली में घूम घूम कर शोर मचाने का मौका तो रमेश बिधूड़ी ने दे ही दिया है. आतिशी से पहले तो रमेश बिधूड़ी ने प्रियंका गांधी पर ही टिप्पणी की है, और बोल बिल्कुल वैसे ही हैं. 

रमेश बिधूड़ी ने दानिश अली को भरी संसद में खूब भला-बुरा कहा था. और, जब रमेश बिधूड़ी बोल रहे तो बीजेपी के कई सांसद मुस्कुरा रहे थे. सबने देखा, लेकिन चुनावों में कोई फर्क पड़ा? बीएसपी छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे दानिश अली तो बीजेपी के उम्मीदवार से ही हार गये. 

जब बीजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में रमेश बिधूड़ी को टोंक भेज दिया तो कुछ देर के लिए लगा, दिल्ली से हटाया जा रहा है. जब लोकसभा चुनाव में टिकट कटा तो माना जाने लगा, दिल्ली में उनकी राजनीति खत्म हो गई. 

लेकिन बीजेपी ने तो रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बचा रखा था – और देखिये कैसे 
दोनो ही नेता मैदान में उतार दिये गये हैं. 

रमेश बिधूड़ी आदतन बयान बहादुर हैं, लेकिन असर भी होगा क्या?

रमेश बिधूड़ी पर कांग्रेस ने हमला बोल दिया है. नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल को टक्कर देने जा रहे, संदीप दीक्षित और कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत से लेकर दानिश अली तक, रमेश बिधूड़ी पर टूट पड़े हैं. 

संदीप दीक्षित तो रमेश बिधूड़ी के खिलाफ बीजेपी की तरफ से कार्रवाई न किये जाने पर कांग्रेस की तरफ से एफआईआर दर्ज कराने की बात कर रहे हैं, जबकि दानिश अली तो सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी मांगने को कह रहे हैं. 

एक वायरल वीडियो में रमेश बिधूड़ी को कहते सुना गया है, ‘लालू ने वादा किया था बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों जैसा बना दूंगा, लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाये… मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, जैसे ओखला और संगम विहार की सड़कें बना दी है… वैसे ही कालकाजी में सारी की सारी सड़कें प्रियंका गांधी के गाल जैसी बना दूंगा.’ 

विवाद होने पर रमेश बिधूड़ी ने खेद तो जताया है, लेकिन माफी की बात पर कह रहे हैं कि पहले तो लालू यादव को माफी मांगनी चाहिये. कहा है, ‘अगर ये गलती है तो जिसने सबसे पहले किया, उसे माफी मांगनी चाहिये… क्या हेमा मालिनी महिला नहीं हैं?’

रमेश बिधूड़ी का कहा है, मैंने कोई विवादित बयान नहीं दिया है… कांग्रेस को बयान पर ऐतराज है तो पहले लालू यादव से कहे कि वो हेमा मालिनी से माफी मांगें. रमेश बिधूड़ी का कहना है कि कुछ लोगों ने राजनीतिक लाभ के लिए उनकी टिप्पणियों का गलत अर्थ निकाला है.

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को लेकर एक सार्वजनिक सभा में रमेश बिधूड़ी ने कहा है, ‘केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था, भ्रष्ट कांग्रेस के साथ नहीं जाउंगा, मार्लेना ने पिता ही बदल लिया… पहले वो मार्लेना थीं… अब वो सिंह बन गई हैं… ये उनका चरित्र है.

बीजेपी नेता बिधूड़ी के बयानों का दिल्ली चुनाव पर क्या असर होता है, देखना होगा. अगर रमेश बिधूड़ी ने सिर्फ प्रियंका गांधी पर टिप्पणी की होती तो उतना असर नहीं होता, जितना आतिशी पर टिप्पणी का हो सकता है. 

जो बात रमेश बिधूड़ी ने कही है, उनके लिए कोई नई बात नहीं है. ये सब उनकी राजनीति का ही हिस्सा है. कोई भी नेता ऐसी बातें कम ही बोलता है, जो उसके समर्थकों को पसंद न हो. हो सकता है, रमेश बिधूड़ी की बात उनको समर्थकों को खराब न लगे, और कालकाजी विधानसभा में निजी तौर पर उनको फायदा भी मिल जाये, लेकिन ये भी तो हो सकता है कि बाकी दिल्ली में बीजेपी के लिए ये महंगा पड़े.  

लोकसभा चुनाव में दानिश अली पर रमेश बिधूड़ी के बयान का पूरे उत्तर प्रदेश में असर माना जा सकता है, लेकिन अमरोहा में तो कोई असर नहीं हुआ. अमरोहा में तो रमेश बिधूड़ी की राजनीति के शिकार दानिश अली तो अपनी भी सीट नहीं बचा पाये. 

बीजेपी को दिल्ली में रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा से आगे कोई क्यों नहीं मिल पाता

अरविंद केजरीवाल को घेरने के लिए बीजेपी ने रमेश बिधूड़ी के साथ साथ पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को भी दिल्ली के मैदान में उतार दिया है. प्रवेश वर्मा तो नई दिल्ली सीट से उम्मीदवार ही बनाये गये हैं. 

प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर की तरह ही रमेश बिधूड़ी भी 2020 के दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल पर हमलावर थे. आने वाले चुनाव के लिए बीजेपी ने आतिशी के खिलाफ रमेश बिधूड़ी और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवेश वर्मा को टिकट दिया है. 

बीजेपी अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार के आरोपी और दिल्ली के लिए कुछ न करने वाला साबित करने की कोशिश कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो दिल्ली सरकार के लिए ‘आप-दा’ ही कह डाला है. 

ये ठीक है कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में जेल से जमानत पर छूटकर कैंपेन कर रहे अरविंद केजरीवाल को चुनावों में फायदा उठाने से रोक दिया था, लेकिन विधानसभा चुनावों के नतीजे वैसे ही होने की गारंटी भी तो है नहीं. 

2020 में भी बीजेपी ने ऐसे ही केजरीवाल को घेरा था, लेकिन वो 2015 की तरह ही जीते. निश्चित तौर पर तब प्रशांत किशोर आम आदमी पार्टी का चुनाव कैंपेन संभाल रहे थे, लेकिन अब भी वो काम तो वैसे ही चल रहा है, आई-पैक के जरिये. बेशक बीजेपी आक्रामक नजर आ रही है, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने भी बंकर तो बना ही रखा है.  

आखिर बीजेपी को ऐसा क्यों लगता है कि अरविंद केजरीवाल को ऐसे ही घेर कर शिकस्त दी जा सकती है – बीजेपी के पास अरविंद केजरीवाल से बड़ी लकीर खींचने का कोई प्लान क्यों नहीं दिखाई पड़ रहा है. संघ की तरफ से सलाहियत के बावजूद बीजेपी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के कद का कोई नेता बीजेपी पेश क्यों नहीं कर पाती? बीजेपी दिल्ली में पार्टी के अंदर से कोई किरण बेदी क्यों नहीं खोज पाती? रमेश बिधूड़ी, प्रवेश वर्मा जैसे नेता कैंपेन में बवाल करा सकते हैं, लेकिन सत्ता परिवर्तन तो नहीं करा सकते.

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