‘मुझे दिल्ली क्यों भेजना चाहते हो…’, पढ़ें- केंद्र की राजनीति से क्यों दूर रहना चाहते हैं एकनाथ शिंदे – Why does Eknath Shinde want to stay away from central politics know Maharashtra politics details ntc

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शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके महाराष्ट्र के अगले सीएम को लेकर चल रही कयासबाजी पर विराम लगाया. उन्होंने साफ किया कि बीजेपी जो भी फैसला लेगी वो उन्हें मंजूर होगा. उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह जो भी कहेंगे वो उसे मानेंगे और उनकी तरफ से कोई अड़चन नहीं आएगी. इसी बीच एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या एकनाथ शिंदे अब मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होंगे? उनकी आगे की रणनीति क्या है. इस सवाल का भी उन्होंने जवाब दिया है.

क्या केंद्र की राजनीति में जाएंगे एकनाथ शिंदे?

दरअसल, प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी जब एकनाथ शिंदे से सवाल पूछा गया कि क्या अब वो दिल्ली की ओर रुख करेंगे. तो उन्होंने साफतौर पर कहा कि…’भाई मुझे दिल्ली क्यों भेजना चाहते हो…’ 

सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे अभी राज्य की ही राजनीति में सक्रिय रहेंगे. उनके सामने शिवसेना को और मजबूत करने ही भी चुनौती होगी. ये चुनौती अब और बड़ी इसलिए होगी क्योंकि अब वो बतौर सीएम नहीं होंगे. ऐसे में ये देखना होगा कि आखिर एकनाथ शिंदे बिना मुख्यमंत्री रहे अपनी पार्टी को कैसे मजबूत करते हैं.

वहीं, कुछ ही महीनों में नगर निकाय के चुनाव भी होने हैं. इसमें एकनाथ शिंदे के सामने भी बड़ी चुनौती होगी. ऐसे में एकनाथ शिंदे की यही कोशिश होगी कि वो राज्य में ही बने रहें और अपनी शिवसेना को और मजबूत बनाएं.

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क्यों बैकफुट पर आए शिंदे

23 नवंबर को नतीजे आने के बाद से अगले मुख्यमंत्री को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं. शिवसेना और एनसीपी के साथ-साथ बीजेपी की ओर से भी सीएम को लेकर दावे किए जाने लगे. शिवसेना और एनसीपी ने अपने विधायक दल का नेता चुनकर प्रेशर पॉलिटिक्स भी की. लेकिन पहले एनसीपी और अब शिवसेना बैकफुट पर हैं.

दरअसल, 288 विधानसभा वाली सीट में महायुति को 230 सीट मिली है. इसमें 132 सीटों पर अकेले बीजेपी को जीत मिली है, जो बहुमत से 13 सीट कम है. सूत्रों की मानें तो जब बीजेपी अकेले 110 सीट के पार गई तो शिवसेना और एनसीपी को ये समझ आने लगा था कि मुख्यमंत्री पद पर उनकी पकड़ कमजोर हो गई है.

मराठा फेस का दांव भी नहीं चला…

वहीं, एकनाथ शिंदे के मराठा फेस को लेकर भी दबाव बनाने की कोशिश की गई.लेकिन जिस तरह से बीजेपी को हर वर्ग का वोट मिला उसने इस नैरेटिव को भी तोड़ने का काम किया. फडणवीस 2019 और 2022 में सीएम बनने से चूके थे. इसका भी उनको फायदा मिल रहा है.

शिवसेना ने विधायकों को समझाया

खबरें सामने आ रही हैं कि एकनाथ शिंदे ने अपने विधायकों को समझाकर अपने-अपने क्षेत्र में जाने को कहा है कि जबकि एकनाथ शिंदे ने भी खुद को महायुति का कार्यकर्ता करार दिया है. ऐसे में अब साफ है कि देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लग सकती है.

एनसीपी ने क्यों किया बीजेपी का समर्थन

वहीं, अब सवाल उठता है कि आखिर अजित पवार की एनसीपी ने बीजेपी का समर्थन क्यों किया. दरअसल, एनसीपी के बीजेपी के समर्थन के पीछे कई कारण हैं. पहला तो ये कि वो इस दांव से शिवसेना के बराबरी पर आकर खड़े हो जाएंगे. दूसरा उन्हें भी पता है कि बीजेपी का नंबर ज्यादा है. ऐसे में वह सीएम के लिए हकदार है. बता दें कि महाराष्ट्र में महायुति को 288 में से 230 सीटें मिली थीं. 

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