28 अगस्त, 2017. महाराष्ट्र के कोल्हापुर का माकडवाला वसाहत इलाका. 35 साल का एक आदमी अपनी 63 वर्षीय मां से शराब पीने के लिए पैसे मांग रहा था. हर मां की तरह वो बुजुर्ग महिला भी उसे शराब पीने से मना कर रही थी. ये बात बेटे को इतनी नागवार गुजरी कि उसने अपनी ही मां की बेरहमी से हत्या कर दी. इसके बाद भी उसका मन नहीं भरा तो उसने धारदार हथियार से अपनी मां के टुकड़े-टुकड़े करने शुरू कर दिए. उसके शरीर के अंदरूनी अंग खींच कर बाहर निकालने लगा.
उसने पहले दिमाग निकाला, फिर चाकू से दिल निकाल लिया. इसके बाद एक-एक कर उसका लिवर, किडनी और आंत बाहर रख दिया. इसके बाद उसने जो किया, उसे देखकर किसी की भी रूह कांप सकती है. उसने अपनी मां के दिल, दिमाग, लिवर, किडनी को तवे पर गरम करके नमक-मिर्च के साथ खाना शुरू कर दिया. ये विभत्स दृश्य देख पड़ोसियों का दिल दहल उठा. आनन-फानन में लोगों ने पुलिस को सूचित किया. पुलिस पहुंची तो खून सने उसके मुंह देखकर दंग रह गई.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरकरार रखी मौत की सजा
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पुलिस उसे गिरफ्तार करके थाने लाई. वहां उसने अपने गुनाह कबूल कर लिया. उस दरिंदे का नाम सुनील कुचकोरवी है. उसने अपनी मां यल्लामा रामा कुचकोरवी की निर्ममता पूर्वक हत्या की थी. साल 2021 में स्थानीय अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई, जिसके खिलाफ उसे बॉम्बे हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. करीब तीन साल की सुनवाई के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को कोल्हापुर की अदालत के फैसले को बरकार रखा है. हाई कोर्ट ने इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस’ माना है.
डीएनए प्रोफाइलिंग से साबित अपराधी की क्रूरता
इस जघन्य हत्याकांड की जांच करने वाले पुलिस इंस्पेक्टर एसएस मोरे ने कहा था, “मैंने मुंबई और महाराष्ट्र के नक्सली इलाकों में अपने करियर में कई हत्याएं और शव देखे हैं. लेकिन ये मामला अब तक का सबसे क्रूर था. हमने मृतक महिला के शव और उसके अंगों के सैंपल डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए भेजे थे. सभी मृतक से मेल खाते थे. हमारे पास 12 गवाह थे. इसके साथ ही क्राइम सीन और महिला के शरीर की स्थिति आरोपी की क्रूरता को साबित करने के लिए पर्याप्त थी.”
कोर्ट ने कहा- ये नरभक्षण का दुर्लभतम मामला है
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि वो दोषी सुनील कुचकोरवी की मौत की सजा की पुष्टि कर रही है. कोर्ट का मानना है कि अपराधी के सुधरने की कोई संभावना नहीं है. यह नरभक्षण का मामला है. हाई कोर्ट ने कहा, “यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है. दोषी ने न केवल अपनी मां की हत्या की, बल्कि उसने उसके शरीर के अंगों जैसे कि दिल, दिमाग, किडनी और लिवर निकाल लिए और उन्हें तवे पर पकाकर खाने का किया था.”
हाई कोर्ट ने बताई मौत की सजा देने की वजह
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अपराधी सुनील कुचकोरवी के सुधार की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि उसमें नरभक्षण की प्रवृत्ति है. यदि उसे आजीवन कारावास दिया जाता है, तो वो जेल में भी इस तरह का अपराध कर सकता है. अभियोजन पक्ष के अनुसार, सुनील ने 28 अगस्त, 2017 को कोल्हापुर शहर में अपने आवास पर अपनी 63 वर्षीय मां की निर्मम हत्या कर दी थी. इसके बाद में उसने अपनी मां के शव को हथियार से काटा और उसके कई अंगों को तवे पर तलकर खा लिया.
शराब के पैसे देने से इनकार करने पर मां की हत्या
अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि मृतक ने आरोपी को शराब खरीदने के लिए पैसे देने से इनकार कर दिया था. उसको साल 2021 में कोल्हापुर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. इस समय वो यरवदा जेल (पुणे) में बंद है. उसके अपराध को “दुर्लभतम” श्रेणी में मानते हुए सेशन कोर्ट ने कहा था कि इस जघन्य हत्या ने समाज की चेतना को झकझोर कर रख दिया है. इस मामले में 12 लोगों की गवाही हुई, जिसमें आरोपी के रिश्तेदार और पड़ोसी शामिल थे.