रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य एवं सैन्य सहयोग आयोग (आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी) के 21वें सत्र के अवसर पर मास्को में रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की. रक्षा मंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं दीं.
राजनाथ सिंह ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी में अपार संभावनाएं हैं और संयुक्त प्रयास उल्लेखनीय परिणामों का मार्ग प्रशस्त करेंगे.
बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, “हमारे देशों के बीच मित्रता सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची और सबसे गहरे महासागर से भी गहरी है. भारत हमेशा अपने रूसी मित्रों के साथ खड़ा रहा है और भविष्य में भी ऐसा करता रहेगा.”
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रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “राजनाथ सिंह ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी में अपार संभावनाएं हैं और संयुक्त प्रयास उल्लेखनीय परिणामों का मार्ग प्रशस्त करेंगे.”
एस-400 ट्रायम्फ की आपूर्ति में तेजी लाने का आग्रह किया
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस से एस-400 ट्रायम्फ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की दो शेष इकाइयों की आपूर्ति में तेजी लाने का आग्रह किया. उन्होंने मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष एंड्री बेलौसोव के साथ व्यापक वार्ता की. बैठक में सिंह ने विभिन्न सैन्य हार्डवेयर के संयुक्त उत्पादन में रूसी रक्षा उद्योगों के लिए भारत में नए अवसरों को प्रदर्शित किया.
उन्होंने कहा कि भारत-रूस संबंध बहुत मजबूत हैं और इसने विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की जिम्मेदारियों को पूरा किया है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सिंह ने एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की दो शेष इकाइयों की शीघ्र डिलीवरी के लिए जोरदार वकालत की. रूस ने मिसाइल सिस्टम की पहली तीन रेजिमेंट की आपूर्ति पूरी कर ली है. यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर शेष इकाइयों की आपूर्ति में देरी हुई है.
INS Tushil की फ्लैग रेजिंग सेरेमनी में शामिल होंगे रक्षा मंत्री
बता दें कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 8 से 10 दिसंबर 2024 तक रूस की यात्रा पर हैं. इस यात्रा का मकसद भारत और रूस के रक्षा क्षेत्र में आपसी संबंध को और मजबूत करना है. रक्षा मंत्री ने सोमवार को कालिनिनग्राद का दौरा भी किया, जहां पर वह INS Tushil की फ्लैग रेजिंग सेरेमनी में शामिल हुए. यह जंगी जहाज प्रोजेक्ट 11356 के तहत भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया है.
इसे काफी पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल होना था लेकिन कोविड, ग्लोबल सप्लाई चेन में रुकावट और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से टलता रहा. यह जंगी जहाज एक स्टेल्थ फ्रिगेट है. जिसमें कई एडवांस सिस्टम और मल्टी-रोल वेपन सिस्टम लगे हुए हैं. इससे भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा.
क्या है प्रोजेक्ट 11356?
इस प्रोजेक्ट के तहत भारत और रूस में अक्टूबर 2016 में समझौता हुआ था. दो फ्रिगेट जंगी जहा रूस का यांतर शिपयार्ड में बनाए गए, जबकि दो गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में. इसके तहत टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी हुआ है. इस प्रोजेक्ट में मेक इन इंडिया मिशन के तहत स्वदेशी जहाज बनाने की काबिलियत को भी शामिल किया गया है.