महाराष्ट्र में महायुति की ऐतिहासिक जीत, झारखंड में हेमंत Return, उपचुनाव में बीजेपी को फायदा – Historic victory of Mahayuti in Maharashtra Hemant soren returns in Jharkhand BJP benefits in byelection result ntc

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दो राज्यों में विधानसभा, 15 राज्यों में 40 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव और दो लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों के नतीजे शनिवार को जारी हो गए. लोकसभा चुनाव के बाद एक तरह से ये आधे भारत की जनता का मिजाज बताने वाला नतीजा है, जहां सुबह से आंधी, तूफान, सुनामी की चर्चा होने लगी. कारण, इनमें सबसे बड़ा राज्य महाराष्ट्र है, जहां महाविजय हुई है. जितनी सीट पूरे विपक्ष को मिलीं, उससे दोगुनी से ज्यादा बीजेपी अकेले हासिल कर गई. महाराष्ट्र में नेता विपक्ष बनने लायक सीट तक एमवीए घटक में किसी के पास नहीं आई. और पचास साल के सियासी इतिहास में महाराष्ट्र में सबसे बड़ी जीत किसी गठबंधन को हासिल हुई है. 

दरअसल, 46 दिन पहले हरियाणा जीत के बाद बीजेपी मुख्यालय से जनादेश की गूंज दूर-दूर तक जाने की बात प्रधानमंत्री ने कही. 46 दिन के भीतर ऐतिहासिक जनादेश की नई गूंज महाराष्ट्र से ऐसी सुनाई दी कि सबको कहना पड़ा ये तो नरेंद्र मोदी के नाम, नारे और नीतियों पर मिली महाविजय है. वहीं लोकसभा चुनाव में तीसरी बार भी NDA के ही सरकार बनाने के बावजूद ये नैरेटिव गढ़ता रहा कि कुछ राज्यों में ज्यादा सीट मिल जाने से विपक्ष ने पीएम के आत्मविश्वास को तोड़ दिया है.

तब पहले हरियाणा चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत और कांग्रेस की लगातार हार और अब महाराष्ट्र में बीजेपी की लगातार तीसरी बार जीत और लगातार तीसरी बार विपक्ष की शिकस्त ने बता दिया है कि बीजेपी की Politics of Performance और आत्मविश्वास को जनता के मन से तोड़ना विपक्ष के लिए मुश्किल हो चुका है. 

पहले अगर सिर्फ महाराष्ट्र की बात करें तो 2014 में 27.8% और 122 सीटें. 2019 में 25.8% और 105 सीटें. 2024 में 26% से ज्यादा वोट और 130 से ज्यादा सीटें. बीजेपी ऐसी अकेली पार्टी है, जिसने पिछले लगातार तीन विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र में 100 से ज्यादा सीटें जीती हैं और 25 प्रतिशत से अधिक वोट लिए हैं. यानी बहुदलीय चुनाव में हर चार में से एक वोट बीजेपी के पास आ रहा है. इस बार तो बीजेपी का स्ट्राइक रेट 88% से भी अधिक है यानी पार्टी ने 149 सीटें लड़कर 131 सीटें जीती हैं. वहीं हरियाणा में सीधे कांग्रेस से टक्कर में बीजेपी ने हराया और महाराष्ट्र में बीजेपी-कांग्रेस के गठबंधन की टक्कर में भी बीजेपी ने अपने दम पर पूरा चुनाव जितवा दिया. यानी कांग्रेस ने अकेले बीजेपी के सामने खड़ी हो पा रही है, ना गठबंधन के दम पर. 

महाविजय क्यों इसे कहा जा रहा है? 

महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों के पीछे की राजनीति को आगे और भी गहनता से इसलिए समझा जाएगा क्योंकि जिस महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के दौरान 5-6 महीने पहले बीजेपी 79 सीट पर आगे थी, वहां 132 सीटें अब जीत चुकी है. महाकमबैक सिर्फ बीजेपी का ही नहीं हुआ, बल्कि बीजेपी के साथी भी मजबूत हुए हैं. शिंदे शिवसेना 57 सीटें जीती है. अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटें जीती हैं. यानी NDA में सबका साथ सबका विकास हुआ है. 

वहीं विपक्षी गठबंधन का हाल देखिए. कांग्रेस सीर्फ 16 सीटें जीती है. वहीं शरद पवार की एनसीपी सिर्फ 10 सीटों पर सिमट गई. उद्धव की पार्टी भी केवल 20 सीटें ही जीत पाई. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि लोकसभा में मिली विपक्षी गठबंधन की जीत तीर नहीं बल्कि तुक्का थी? जिसे बीजेपी झूठे नैरेटिव से ठगी गई, विरोधियों की जीत बताती है. 

‘एक हैं तो सेफ हैं’ का ये नारा इसलिए महाराष्ट्र में अब अहम माना जा रहा है क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान हाथ में संविधान लेकर ही जाति आधारित मुद्दों पर जैसे जाति गणना, पिछड़ों को आरक्षण देंगे, बीजेपी आरक्षण खत्म कर देंगी का नैरेटिव गढ़ा. नुकसान NDA को हुआ. लेकिन अब विधानसभा चुनाव में मोदी का नारा एक हैं तो सेफ हैं चला. आंकड़ों से ये बात समझिए. लोकसभा चुनाव में NDA का 2019 के मुकाबले सवर्ण वोट 29 फीसदी घटा था. मराठा वोट 11 फीसदी घटा था. ओबीसी वोट सबसे ज्यादा 31 प्रतिशत तक घटा था. आदिवासी वोट 3 फीसदी घटा था. 

बीजेपी ने यूपी उपचुनाव में भी किया कमाल

महाराष्ट्र में इसे महाविजय सिर्फ इसलिए नहीं कहा जा हैं कि बीजेपी गठबंधन ने सीटों का रिकॉर्ड बना दिया है. बल्कि ये महाविजय इसलिए भी है क्योंकि 15 राज्यों में 48 सीटों के उपचुनाव में भी जनता का भरोसा विुपक्ष से ज्यादा बीजेपी और उसके गठबंधन पर कायम है. जहां कांग्रेस के पास उपचुनाव से पहले 13 सीट थीं, वहां सात ही वो बचा पाई. कांग्रेस गठबंधन उपचुनाव में अपनी 29 में से 20 सीट ही दोबारा जीत पाया. इसमें यूपी का इतिहास भी है. जहां तीन दशक से बीजेपी कभी नहीं जीती थी, उन सीटों पर उत्तर प्रदेश उपचुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की है. बीजेपी ने उपचुनाव में 10 सीटों का फायदा पाया है. जबकि बीजेपी गठबंधन को 9 सीटों का फायदा हुआ है. 

देश की 50 सीट पर उपचुनाव में NDA ने किया कमाल

देश के 15 राज्यों की 48 विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को बड़ा फायदा हुआ है. उपचुनाव से पहले बीजेपी के पास इन सीटों पर से सिर्फ 11 सीटें थीं, लेकिन अब बीजेपी की संख्या 20 पहुंच गई है. वहीं एनडीए के खाते में 48 में से 28 सीटें आई हैं. बीजेपी और उसके सहयोगियों ने उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में दबदबा कायम किया, जबकि तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में सूपड़ा साफ किया. कांग्रेस ने सात सीट पर जीत दर्ज की. यूपी में सपा को दो सीटें- सिसामऊ और करहल ही मिल पाईं.

महाराष्ट्र में महाविजय के बाद अब सवाल एक है. मुख्यमंत्री कौन? जीत के बाद देवेंद्र फडणवीस ने लिखा, “बाज की असली उड़ान बाकी है.” सब अब यही जानना चाहते हैं कि वो उड़ान क्या मुख्यमंत्री पद तक ले जाएगी? या फिर 2022 में जैसे एकनाथ शिंदे के नाम ने सबको चौंकाया वैसा ही कोई सरप्राइज बाकी है. फडणवीस की मां ने कहा कि बेटा सीएम बनेगा. वहीं एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत भी कह रहे हैं उनके पिताजी सीएम बनेंगे. उधर, अजित पवार की पत्नी ने कहा कि उनके पति सीएम बनेंगे. तो फिर पिता, पति या बेटा… कौन होगा महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री? 

महाराष्ट्र में क्या फडणवीस के सियासी समंदर के तौर पर सीटें बंटोरकर लाने के बाद वापसी मुख्यमंत्री आवास वर्षा तक हो पाएगी? पांच साल पहले की 23 नवंबर की तारीख कभी देवेंद्र फडणवीस भूलेंगे नहीं. जब अजित पवार के समर्थन से अचानक सुबह राजभवन में फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन 80 घंटे चली उस सरकार से जब फडणवीस को विदा लेना पड़ा. तब उन्होंने कहा था, “समंदर हूं लौटकर आऊंगा.” 

34 साल बाद किसी पार्टी ने जीतीं 130 से अधिक सीट

देवेंद्र फ़डणवीस लौटकर तो प्रचंड जीत के साथ आ गए हैं. जहां 34 साल बाद महाराष्ट्र में कोई पार्टी अगर 130 के पार सीट जीत रही है तो बीजेपी है. महाराष्ट्र हर दस में से आठ सीट NDA ने जीत ली है. महाराष्ट्र में वो जीत मिली है जहां NDA का औसत स्ट्राइक रेट 80% है. लेकिन मोदी हैं तो मुमकिन है के दम पर जीत हासिल करने की घोषणा करते देवेंद्र फडणवीस के लिए क्या अब मुखअयमंत्री पद की कुर्सी अबकी बार सेफ है? 

महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार भी जो कभी नहीं कर पाए वो काम फडणवीस कर पाए थे. फडणवीस महाराष्ट्र के वो नेता हैं जो वसंत राव नाईक के बाद पांच साल सीएम पद पर लगातार रहने वाले दूसरे नेता रहे. लेकिन 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री रहने के बाद 2019 में बीजेपी-शिवसेना को बहुमत मिला तो उद्धव के अलग होने से 80 घंटे ही सीएम फडणवीस रह पाए. जून 2022 में शिंदे के शिवसेना से अलग होने के बाद सरकार बनी तो फडणवीस को डिप्टी सीएम बनना पड़ा. 

फडणवीस बन पाएंगे मुख्यमंत्री?

अब क्या फिर से देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की कुर्सी तक पहुंच पाएंगे? ये बड़ा सवाल है. बीजेपी के अपने दम पर 132 सीट हासिल करने के बाद क्या फडणवीस के सीएम बनने में कोई रुकावट हो सकती है? सवाल इसलिए क्योंकि जब पूछा गया कि क्या सबसे बड़ी पार्टी का मुख्यमंत्री होगा? मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे का जवाब सुर्खियां बन गया. शिंदे ने कहा कि ऐसी कोई सहमति नहीं है कि मुख्यमंत्री सबसे बड़ी पार्टी का होगा, तीनों पार्टियां मिलकर तय करेगी.

जीत का गुलाल खेलते एकनाथ शिंदे अभी मुख्यमंत्री हैं. लाडकी बहिण योजना को जीत में अहम बताते हैं. इस योजना का नाम ही मुख्यमंत्री लाडकी बहिण योजना रहा है. शिंदे की पार्टी के नौ सांसद हैं. जो केंद्र में बीजेपी को समर्थन करते हैं. तो क्या शिंदे ही भले सीटें कम पाए हों लेकिन गठबंधन में साथ हैं तो आगे भी सीएम हो सकते हैं? सवाल इसलिए क्योंकि नीतीश कुमार भी तो सीटें बीजेपी से कम लाने पर मुख्यमंत्री बनते आए हैं? तो फिर से क्या एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री होंगे या फिर जैसे पिछली बार सीएम पद से डिप्टी सीएम पद पर फडणवीस को आना पड़ा तो अबकी बार शिंदे को आना होगा? ये सवाल अभी बरकरार है.

झारखंड में हेमंत सोरेन की सत्ता बरकरार

झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले INDIA ब्लॉक ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और बहुमत हासिल कर लिया है. झारखंड में इंडिया ब्लॉक को 56 सीटें मिलीं जबकि एनडीए 24 सीटों पर विजयी रही. झारखंड ने 24 साल पुरानी परंपरा तोड़ी है और सत्तारूढ़ पार्टी ने धमाकेदार वापसी की है. अब तक झारखंड की जनता हर पांच साल में सरकार बदलती आई है और नई पार्टी को सरकार बनाने का मौका मिला है.

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