‘बाइक पर दूध बेचती नजर आई लड़की…’, पशुपालन विभाग की झांकी ने खींचा सबका ध्यान – republic day 2025 Girl seen selling milk on bike Animal Husbandry tableau tvisa

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest
Pocket
WhatsApp

भारत आज अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस दौरान कर्तव्य पथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस के परेड में पशुपालन विभाग की  झांकी ने भी सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. इस झांकी की सबसे खास झलक मोटरसाइकिल पर दूध बेचती लड़की रही, जो यह दर्शाती है कि खेती-किसानी और पशुपालन अब सिर्फ पुरुषों का काम नहीं रहा. महिलाएं भी इसमें बढ़चढ़ कर दिलचस्पी ले रही हैं और बढ़िया मुनाफा कमा रही हैं.

स्वर्णिम भारत की विरासत और विकास के थीम पर आधारित है थी झांकी

‘स्वर्णिम भारत की विरासत और विकास’ के थीम पर आधारित पशु पालन और डेयरी विभाग की झांकी के आगे का हिस्सा दूध के बर्तन से बहते हुए श्वेत क्रांति 2.0 को दिखा रहा है. साथ ही यह दुग्ध उत्पादन में भारत के अव्वल स्थान को भी दर्शा रहा है. बीच वाले हिस्से में बछड़े के साथ पंढरपुरी भैंस को दिखाया गया है. यह भारत की 70 से अधिक देसी नस्ल की भैंसों में से एक है. एक महिला किसान को इस भैंस की देखभाल करते हुए दिखाया गया. साथ में एक पशु चिकित्सक टीके के साथ नजर आ रहा है, जो भैंस को खुरपका और मुंहपके के रोग से बचाएगा. इसके अलावा दो महिलाओं को पारंपरिक ‘बिलोना’ विधि से घी मथते हुए दिखाया गया. 

कामधेनु गाय का भी चित्रण

झांकी के अंतिम भाग में कामधेनु या सुरभि का सजीव चित्रण है. इस गाय को भारतीय पौराणिक कथाओं में भी पवित्र माना जाता है. भारतीय स्वदेशी गायों को भी कामधेनु के बराबर का दर्जा हासिल हैं. ये भारत की  ग्रामीण समृद्धि की प्रतीक मानी जाती हैं.  इन्हीं गायों से हासिल दूध, घी और दही जैसे डेयरी उत्पादों के माध्यम से ग्रामीण अपना जीवनयापन करते हैं. ऐसे में इन गायों का भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका है.

महिलाओं के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था होगी मजबूत

बता दें कि सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाना चाहती है. हाल के कुछ वर्षों में ये नजर भी आया है कि महिलाएं खेती और पशुपालन के क्षेत्र में दिलचस्पी लेने लगी हैं और बढ़िया मुनाफा कमा रही हैं. सरकार ने इसी कड़ी में महिलाओं के लिए लखपति दीदी समेत कई तरह की योजनाएं भी लॉन्च करती रही है . साथ ही प्रगतिशील महिला किसानों और पशुपालकों को पुरस्कार के साथ-साथ प्रोत्साहन राशि भी देती रही है.



Source link

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest
Pocket
WhatsApp

Never miss any important news. Subscribe to our newsletter.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *