दीपक घबराया हुआ है, हर सुबह उम्मीद होती है कि आज से दिन फिरेंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा. दीपक कहता है कि अगर पता होता कि सालभर की कमाई महीनेभर में ही साफ हो जाएगी, तो बिल्कुल शेयर बाजार में पैसे नहीं लगाते.
दीपक जैसे देश में लाखों लोग हैं, जो पिछले एक-डेढ़ साल से शेयर बाजार में दांव लगा रहे थे, लेकिन अब उनका धैर्य जवाब दे रहा है. दिमाग में सिर्फ एक ही सवाल चलता है कि आखिर क्यों शेयर बाजार में निवेश का रास्ता चुना? दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में धड़ल्ले से डीमैट अकाउंट खुले हैं, और अधिकतर नए निवेशक इक्विटी में हाथ आजमा रहे थे. लेकिन पिछले डेढ़ महीने की लगातार गिरावट ने ऐसे निवेशकों को हिलाकर रख दिया है.
कोविड के दौरान भी बड़ी गिरावट आई थी. लेकिन उस दौरान बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी बहुत कम थी, कोविड के दौरान लोगों को शेयर बााजर का चस्का लगा, हां… ये भी सच है कि कोविड के बाद से बाजार में एकतरफा तेजी देखने को मिली. निवेशकों का खूब पैसा बना. जब सबका पैसा बनता है, तो उस दौरान रिटेल निवेशक भी अच्छी-खासी कमाई करते हैं. ये कमाई का सिलसिला अगस्त-2024 तक जारी रहा.
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बता दें, पिछले 3 से 4 साल में शेयर बाजार से खूब पैसे बने हैं. निफ्टी में मार्च-2020 के निचले स्तर से करीब 200 फीसदी तेजी आई है, यानी निफ्टी 4 साल में करीब तिगुना हो गया. कोविड काल के दौरान मार्च-2020 में निफ्टी गिरकर 7600 अंक के आसपास पहुंच गया था. जहां से निफ्टी ने करीब चार साल में 24,277 अंक तक का सफर तय कर लिया है.
वैसे कहा जाता है कि इंडेक्स (Index) के मुकाबले में स्टॉक (Stock) में दोगुनी तेजी का अनुपात रहता है. यानी अगर निफ्टी में 10 फीसदी की तेजी आती है, तो इसी दौरान स्टॉक में 20 फीसदी की तेजी संभव है. ऐसे में अगर इंडेक्स पिछले 4 साल में तिगुना हो गया है तो फिर तमाम स्टॉक भी मार्च-2020 की तुलना में 6 गुना हो गया है, और ऐसा हुआ भी है. खासकर स्मॉल कैप और मिडकैप कैटेगरी की कई कंपनियों के शेयरों में 500% से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई है.
Trent और अडानी एंटरप्राइजेज जैसे स्टॉक इसके उदाहरण हैं, जिसने पिछले 4 साल में 500% से अधिक का रिटर्न दिया है, ये दोनों शेयर फिलहाल निफ्टी-50 का हिस्सा है. स्मॉलकैप और मिडकैप कैटेगरी में सैकड़ों ऐसे शेयर हैं, जिसने 4 साल में 1000% से ज्यादा का रिटर्न दिया है.
अब मुद्दे पर लौटते हैं, कि दीपक जैसे निवेशकों का इस गिरावट में बुरा हाल क्यों है? दरअसल, जितने भी रिटेल निवेशकों ने पिछले एक से डेढ़ साल में निवेश करना शुरू किया है. उनमें से अधिकतर के पोर्टफोलियो अब ग्रीन से रेड में तब्दील हो चुका है, यानी एक से डेढ़ साल में जो धीरे-धीरे कमाई हुई थी, वो अब साफ हो चुकी है, कुछ निवेशकों का पोर्टफोलियो 10-15 फीसदी तक रेड भी हो चुका है. ऐसे निवेशकों को पहले तो लग रहा था कि एक-दो दिन में गिरावट थम जाएगी. क्योंकि पिछले 4 साल में ऐसा ही हुआ था. जबकि भी गिरावट आती थी, हफ्तेभर में फिर तेज रिकवरी देखने को मिल जाती थी. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है.
दीपक से जब पूछा गया कि कितना नुकसान हो रहा है तुम्हें, तो फिर उसने बताना शुरू किया. ‘थोड़ा-थोड़ा करके निवेश कर रहे थे, पोर्टफोलियो 2 लाख से ऊपर का हो गया था. एक समय पोर्टफोलियो में 40 हजार रुपये मुनाफा दिख रहा था, लेकिन अब तो कैपिटल भी डूब रहा है. 2 लाख रुपये लगाया था, अब मुनाफा तो भूल जाइए निवेश का वैल्यू भी घटकर 1.80 लाख रुपये ही रह गया है. जितना लगाया था, उसमें भी 20 हजार का नुकसान हो रहा है, इसलिए निकाल भी नहीं सकते.’
आपके आसपास भी दीपक जैसे लोग होंगे, जो आजकल यही बातें कर रहे होंगे कि हर रोज नुकसान हो रहा है. दरअसल, नए निवेशकों के पोर्टफोलियो ग्रीन से रेड में बदलने के कई कारण हैं.
1. शेयर बाजार ऑलटाइम हाई से करीब 10 फीसदी टूट चुका है. ऐसे में स्मॉलकैप और मिडकैप सेगमेंट में अधिकतर शेयर 20 फीसदी से ज्यादा गिरे हैं. अगर किसी का पोर्टफोलियो डेढ़ महीने पहले तक 20 फीसदी प्रॉफिट में था, तो अब उसका रेड में होना लाजिमी है. चाहे पोर्टफोलियो का साइज एक लाख रुपये का हो, या फिर एक करोड़ रुपये का.
2. पिछले डेढ़ महीने में लॉर्जकैप के मुकाबले स्मॉलकैप और मिडकैप कैटेगरी के शेयर ज्यादा गिरे हैं, हमेशा ऐसा ही होता है, इसलिए नुकसान भी ज्यादा रिटेल निवेशक को ही होता है, क्योंकि अधिकतर रिटेल निवेशक ज्यादा मुनाफे के चक्कर में स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में पैसे लगाते हैं.
3. सुर्खियों वाले शेयरों के पीछे सबसे ज्यादा रिटेल निवेशक ही भागते हैं, और गिरावट में ऐसे शेयर सबसे ज्यादा गिरते भी हैं. पिछले दिनों रेलवे और PSU स्टॉक में धुंआधार तेजी ने रिटेल निवेशकों को अपनी ओर खींचा था. क्योंकि ऐसे शेयरों में पिछले एक से डेढ़ साल में पैसे भी खूब बने हैं. खासकर रेलवे और डिफेंस स्टॉक में उम्मीद से ज्यादा तेजी का माहौल रहा. अब ऐसे स्टॉक्स ही ज्यादा गिर रहे हैं, कई रेलवे और PSU स्टॉक अपने हाई से 50 फीसदी तक टूट चुके हैं. फिर रिटेल निवेशकों को नुकसान होना तो तय है. RVNL, RailTel, BEML, BEL, BDL, NHPC, IRFC, NBCC, Hudco जैसे स्टॉक्स इसके उदाहरण हैं. ये स्टॉक्स अधिकतर रिटेल निवेशकों के पोर्टफोलियो का हिस्सा है.
4. दरअसल, बाजार में गिरावट का एक अहम कारण ये भी है कि कुछ मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के शेयर हाई वैल्यूवेएशन पर पहुंच गए थे, अब जब अर्निंग उस हिसाब से नहीं आ रही है तो फिर शेयर में करेक्शन लाजिमी है. इसके अलावा विदेशी निवेशक भी भारतीय बाजार को ऊपरी स्तरों पर टिकने नहीं दे रहे हैं, वो लगातार बिकवाली कर रहे हैं. पिछले डेढ़ महीने में FII करीब 1.30 लाख करोड़ रुपये भारतीय बाजार से निकाल चुके हैं. आलम ये है कि पिछले 45 दिनों में ही BSE में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप करीब 45 लाख करोड़ रुपये घट चुका है.
ऐसे में दीपक जैसे निवेशक को इस गिरावट में क्या करना चाहिए? बाजार के दिग्गज हमेशा यही कहते हैं कि अगर निवेशक का नजरिया लंबा है तो फिर गिरावट में घबराना नहीं चाहिए. गिरावट के बाद फिर से तेजी का दौर आएगा. रिटेल निवेशक के लिए गिरावट एक निवेश का मौका भी होता है, जहां वो अच्छे शेयर को अपने पोर्टफोलियो में जोड़ सकते हैं. अगर गिरावट में घबराकर बेचने का फैसला लेता है, तो फिर ऐसे लोग बाजार से दूर रहें. (दीपक एक काल्पनिक पात्र है)