बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक फ्रंट-रनिंग घोटाले का खुलासा किया है, जिसमें केतन पारेख, सिंगापुर स्थित व्यापारी रोहित सालगांवकर और अन्य लोग शामिल थे. केतन पारेख और सिंगापुर के ट्रेडर रोहित सलगांवकर साल 2000 में हुए एक घोटाले में जेल भी जा चुके हैं और इन दोनों पर 14 साल तक सिक्योरिटीज मार्केट में एंट्री पर पाबंदी भी लगाई गई थी. साल 2000 में केतन पारेख ने निवेशकों को करोड़ों रुपये का चुना लगाया था, जिसके बाद पारेख और अन्य पर कार्रवाई की गई थी. अब एक बार फिर एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है.
2 जनवरी को जारी आदेश के अनुसार, सेबी ने बताया कि पारेख और सलगांवकर ने फ्रंट-रनिंग की योजना बनाई थी. ऐसे में करीब 65.77 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जब्त कर ली गई है. सेबी ने यह आदेश 22 संस्थाओं के खिलाफ जारी किया है. सेबी के होल टाइम मेंबर कमलेश वार्ष्णेय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है, ‘नोटिस रिसीवर नंबर 1 रोहित सलगांवकर और नोटिस रिसीवर नंबर 2 केतन पारेख ने फ्रंट रनिंग गतिविधियों की मदद से बिग क्लाइंट (फंड हाउस) के NPI का बेजा इस्तेमाल कर लाभ उठाया.
नोटिस रिसीवर नंबर 10 (अशोक कुमार पोद्दार) ने फ्रंट रनिंग एक्टिविटी में भूमिका निभाने की बात स्वीकार की है. इसके अलावा, नोटिस रिसीवर नंबर 2 और 10 केतन पारेख और अशोक कुमार पोद्दार को सिक्योरिटीज मार्केट में एंट्री से रोक दिया गया है. इन दोनों पर पहले भी सिक्योरिटीज मार्केट में एंट्री पर रोक लगाई गई थी. इस बात को ध्यान में रखते हुए नोटिस रिसीवर नंबर 1,2 और 10 को तत्काल प्रभाव से सिक्योरिटीज या सेबी के साथ रजिस्टर्ड किसी भी इंटरमीडियरीज में खरीद, बिक्री या अन्य एक्टिविटी पर रोक लगा दी गई है.’
सम्बंधित ख़बरें
कैसे चल रहा था पूरा खेल?
SEBI ने अपने आदेश में जानकारी दी कि फंड हाउस, जहां सलगांवकर के करीबी संबंध थे, वे किसी भी ट्रेडर्स डील को अंजाम देने से पहले रोहित सलगांवकर के साथ बातचीत कर रहे थे और पहली नजर में मिली जानकारी के मुताबिक, सलगांवकर इस सूचना को केतन पारेख के साथ शेयर कर फायदा उठाते. रोहित सलगांवकर यह सूचना केतन पारेख तक पहुंचाकर अवैध प्रॉफिट कमा रहे थे. जब यह सूचना केतन पारेख तक पहुंचती तो वे इसका लाभ उठाते और अलग-अलग अकाउंट में ट्रेड को अंजाम देते.
सेबी ने कहा कि पूरे ऑपरेशन और जांच में इस बात की जानकारी मिली कि पारेख ने किस तरह से ट्रेड की फ्रंट रनिंग के लिए कोलकाता की इकाइयों के अपने पुराने नेटवर्क का इस्तेमाल किया और मुख्य खिलाड़ी कैसे रेगुलेटरी दायरे से बाहर ऑपरेट कर रहे थे.
क्या होता है फ्रंट रनिंग?
फ्रंट रनिंग एक ऐसा अवैध तरीका है, जिसमें कोई ब्रोकर या ट्रेडर, अपने लाभ के लिए किसी क्लाइंट ऑर्डर के बारे में गोपनीय जानकारी का फायदा उठाये. फ्रंट रनिंग को बाजार में हेरफेर और अंदरूनी कारोबार का एक रूप माना गया है.
इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं मान लीजिए X एक रिटेल इन्वेस्टर, XYZ कंपनी के 1,000 शेयर खरीदने के लिए ऑर्डर देने के लिए अपनी ब्रोकरेज फर्म से संपर्क करता है. ब्रोकरेज फर्म एक ट्रेडर, Y को इसकी जानकारी देती है. X के ऑर्डर प्राप्त करने के बाद, Y को लगा किया कि यह एक महत्वपूर्ण ऑर्डर था जो XYZ कंपनी के स्टॉक की कीमत को संभावित रूप से बढ़ा सकता है. X के ऑर्डर को तुरंत एग्जीक्यूट करने के बजाय Y, X के ऑर्डर से पहले XYZ कंपनी के स्टॉक खरीदने के लिए अपना ऑर्डर लेता है.
Y का ऑर्डर भरा गया है और बढ़ती मांग के कारण XYZ कंपनी के स्टॉक की कीमत बढ़ जाती है. एक बार स्टॉक की कीमतें एक निश्चित लेवल तक पहुंचने के बाद, Y उसके पहले खरीदे गए शेयरों को बेचता है, जिससे मुनाफा मिलता है. Y ने अपने क्लेम बेचने के बाद ही X के ऑर्डर को एग्जीक्यूट किया. इस पूरे प्रॉसेस को फ्रंट रनिंग कहा जाता है.
कौन है केतन पारेख?
केतन पारेख पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट था और ब्रोकरेज फैमिली से भी आता था. शुरुआत में इसने स्टॉक मार्केट में हर्षत मेहता के साथ काम करता था. 1999-2000 के दौरान स्टॉक मार्केट में इसकी तूती बोलती थी. यह जिस भी शेयर को हाथ लगाता, वह रॉकेट बन जाता था और जिस शेयर को बेच देता, उसमें तेज गिरावट आती थी. निवेशकों की इसके हर एक्टिविटी पर नजर थी. इसने कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज में एक बड़ा नेटवर्क बना लिया था, बाद में इसके कई घोटाले सामने आए.