सोशल मीडिया पर एक दस्तावेज वायरल हो रहा है जिसके इजरायली एयरस्ट्राइक में मारे गए हिज्बुल्लाह के शीर्ष नेता हसन नसरल्लाह की आधिकारिक ‘वसीयत’ होने का दावा किया जा रहा है. दस्तावेज में कहा गया है, ‘मैं आप सभी से इस दुनिया की भलाई के लिए, इमाम खामेनेई के नेतृत्व में विश्वास बनाए रखने का आग्रह करता हूं, भगवान उनकी रक्षा करें.’ इंटरनेट पर वायरल इस दस्तावेज के बारे में कई लोगों का कहना है कि शिया मुसलमानों के लिए ईरान के अयातुल्ला (सर्वोच्च नेता) में अपनी आस्था व्यक्त करना रिवाज का हिस्सा है.
लेकिन कई लोग इंटरनेट पर वायरल इस दस्तावेज को नकली बताते हुए खारिज भी कर रहे हैं. उनके मुताबिक लेबनान और हिज्बुल्लाह में आस्था रखने वाले शियाओं को यह लगता है कि नसरल्लाह को ईरान ने इस्तेमाल किया और जब मदद की जरूरत थी तो उसके हाल पर छोड़ दिया. शियाओं की इस राय को प्रभावित करने के लिए इंटरनेट पर जानबूझकर यह दस्तावेज वायरल किया गया हो सकता है, जिसे नसरल्लाह की वसीयत बताया जा रहा है.
⭕ I bequeath to you that your faith in the leadership of Hazrat Imam Khamenei be firm and strong, that the good of this world and the hereafter lies in this. #Seyd_Hassan_Nasrullah ــ pic.twitter.com/w183q78CyZ
— 🇵🇸ليلى (@Lailafatimeh) September 30, 2024
हसन नसरल्लाह की मौत ने कई कॉन्सपिरेसी थ्योरी को जन्म दिया है, जिसमें ईरान की भूमिका पर संदेह भी शामिल है. सवाल उठ रहे हैं कि इजरायल को आखिर इतनी सटीक जानकारी कैसे मिली कि दक्षिण बेरूत स्थित इमारत से हिज्बुल्लाह का मुख्यालय संचालित हो रहा है और हसन नसरल्लाह वहां मौजूद है. एक थ्योरी यह भी चल रही है कि नसरल्लाह को आने वाले खतरे की सूचना दी गई थी और उसे ईरान जाने के लिए कहा गया था, लेकिन उसने लेबनान छोड़ने से इनकार कर दिया था.
इंटरनेट पर वायरल दस्तावेज का रहस्य
Sayed Nasrallah’s final words in his last speech were spoken with the weight of knowing, as martyrs often do. pic.twitter.com/a1NKi678iz
— Dyab Abou Jahjah (@Aboujahjah) September 29, 2024
अपने आखिरी भाषण में हसन नसरल्ला ने कथित तौर पर कहा था, ‘हो सकता है मैं आपके बीच ज्यादा समय तक न रहूं. लेकिन हम तैयार हैं. भले ही हम सभी शहीद हो जाएं, भले ही हमारे सिर के ऊपर छत न रहे, हम दुश्मन के खिलाफ प्रतिरोध और संघर्ष का विकल्प कभी नहीं छोड़ेंगे.’ नसरल्लाह के ये शब्द बता रहे हैं कि हिज्बुल्लाह इजरायली कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार था. हिज्बुल्लाह ने अपने शीर्ष नेता की मौत को फिलिस्तीन मुद्दे के लिए चुकाई गई सबसे बड़ी कीमत बताया है. एक बयान में हिजबुल्लाह ने कहा, ‘हमारी इस यात्रा में अपने सर्वोच्च, पवित्र और सबसे बड़ी शहीदत को याद करते हुए हम गाजा और फिलिस्तीन के समर्थन में और लेबनान की रक्षा में दुश्मन का सामना करने और अपना जिहाद जारी रखने का प्रण लेते हैं.’
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हसन नसरल्लाह ने भले ही कोई वसीयत न लिखी हो, लेकिन ‘विलायत अल-फकीह’ नाम का एक विचार है जो शिया मुसलमानों को ‘संरक्षकता’ के सूत्र में बांधता है. इस विचार की जड़ें अयातुल्ला खुमैनी की साल 1970 की तकरीरों में मिली हैं. इसी के बाद 1980 के दशक में अयातुल्ला या सर्वोच्च नेता के पद का निर्माण हुआ. अयातुल्ला इस्लामी शिया विचारधारा के एक अलग संस्करण का पालन करता है और इस्लामी क्रांति फैलाने के लिए शिया मुसलमानों का मार्गदर्शन (मरजा-ए-तक्लीद) करता है.
इस प्रकार, अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ‘सर्वोच्च नेता’ के रूप में सेवा करने वाले शिया समुदाय के पहले संरक्षक बने. आज यह भूमिका अयातुल्ला अली खामेनेई के पास है. हिज्बुल्लाह इस्लामी शिया धर्म का पालन करता है. इसलिए यह भी हो सकता है कि हसन नसरल्लाह ने अपने अनुयायियों और संगठन को अयातुल्ला अली खामेनेई के मार्गदर्शन का पालन करने के लिए कहा हो, क्योंकि वह स्वयं अयातुल्ला के निर्देशों को मानता था. इसलिए, चाहे कोई लिखित दस्तावेज हो या नहीं, हिज्बुल्लाह को पता था कि हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद संगठन में नेतृत्व शून्यता के समय उसे मार्गदर्शन, योजना, रणनीति और निर्देश के लिए कहां जाना है.