ईरान और इजरायल के बीच तनाव इस हद तक बढ़ चुका है कि पूरा मिडिल ईस्ट बड़े युद्ध के मुहाने पर खड़ा है. इजरायल और ईरान के बीच संभावित युद्ध में अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है. इस पर प्रसिद्ध मध्य पूर्व विशेषज्ञ और जॉन्स हॉपकिन्स स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज के वरिष्ठ फेलो प्रोफेसर वली नसर का कहना है कि इजरायल ईरान के खिलाफ युद्ध शुरू तो कर सकता है, लेकिन उसे खत्म करने के लिए उसे अमेरिका की मदद की जरूरत होगी.
इंडिया टुडे और आजतक के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल के सवाल का जवाब देते हुए प्रोफेसर वली नसर ने कहा, “इजरायल के पास मिसाइल और हवाई शक्ति तो हैं, लेकिन उसके पास ईरान पर व्यापक आक्रमण की क्षमता नहीं है. इसलिए, युद्ध केवल मिसाइलों, हवाई हमलों, साइबर अटैक्स और अन्य दूरस्थ तरीकों से ही लड़ा जाएगा.”
ईरान की सैन्य क्षमता पर चर्चा करते हुए नसर ने आगे बताया कि अगर इजरायल कोई बड़ा हमला करता है तो ईरान की प्रतिक्रिया भी तीव्र होगी और यह लड़ाई एक बड़े क्षेत्रीय संघर्ष का रूप ले सकती है. ऐसे में अमेरिका को सीधे तौर पर इसमें शामिल होना पड़ सकता है, क्योंकि बिना अमेरिकी समर्थन के इजरायल की जीत की संभावना कम हो जाएगी.
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उन्होंने बताया कि सऊदी अरब और यूएई जैसे खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशों पर भी इस संघर्ष का प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि ईरान के पास इन देशों के आर्थिक हितों को भी निशाना बनाने की क्षमता है. इसीलिए, खाड़ी देशों के लिए यह युद्ध सिर्फ एक सैन्य संघर्ष नहीं, बल्कि उनके आर्थिक स्थायित्व के लिए भी खतरा बन सकता है.
प्रोफेसर के मुताबिक इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष किसी भी क्षण बढ़ सकता है, लेकिन इसके अंत की चाबी अमेरिका के हाथ में है. इजरायल की सैन्य क्षमता निश्चित रूप से मजबूत है, लेकिन बिना अमेरिकी सहयोग के यह युद्ध एक अनिश्चित दिशा में जा सकता है.
यदि अमेरिका इसमें सक्रिय रूप से शामिल होता है तो यह संघर्ष वैश्विक स्तर पर बड़ा मोड़ ले सकता है. खाड़ी देशों की स्थिति भी इस संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, क्योंकि वे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.