इजरायल खुश, करीबी ईरान और रूस ने खड़े किए हाथ… सीरिया में तख्तापलट पर किसने क्या कहा – Bashar al Assad fall capture of Syria Damascus World reacts Syria civil war iran israel ntc

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13 साल का भीषण युद्ध, न जाने कितने मासूमों की जान गंवाने और बड़ी माल-संपत्ति की बर्बादी के बाद सीरिया में विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा जमा लिया है. इसके साथ ही उन्होंने पूरे देश को आजाद घोषित करते हुए बताया कि राष्ट्रपति बशर अल-असद लापता हो गए हैं और भाग गए हैं. बशर अल-असद का पतन अल-असद परिवार के पांच दशकों के शासन का अंत है, जो कठोर नियंत्रण, दमनकारी नीतियों और लंबे समय से जारी युद्ध के लिए जाना जाता था.

राजधानी में जश्न का माहौल
सीरिया का दमिश्क, जहां कुछ समय पहले बमबारी और गोलियों की आवाजें उसकी पहचान बन गई थीं, अब वहां लोग जश्न मना रहे हैं. सड़कों पर भीड़ उमड़ी हुई है, झंडे लहराए जा रहे हैं, और लोग आजादी के नारों के साथ खुशी जाहिर कर रहे हैं. देश के अन्य हिस्सों, विशेष रूप से लेबनान सीमा के पास, भी ऐसे ही नजारे देखने को मिले. यह जश्न उन लाखों सीरियाई लोगों के लिए आशा की किरण लेकर आया है, जो सालों से विस्थापन और अस्थिरता का सामना कर रहे थे. कई विस्थापित नागरिक अब अपने घर लौटने की योजना बना रहे हैं.

विद्रोहियों की ऐतिहासिक जीत
सीरिया में विद्रोह 2011 में शुरू हुआ था, जब असद सरकार ने लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों को क्रूरता से कुचल दिया. यह संघर्ष धीरे-धीरे गृहयुद्ध में बदल गया, जिसमें असद सरकार के खिलाफ कई विद्रोही गुट खड़े हुए. आखिरकार, 13 साल के इस संघर्ष ने असद शासन को झुका दिया. विद्रोही गुटों ने दमिश्क पर कब्जा कर न केवल असद सरकार को उखाड़ फेंका, बल्कि सीरियाई जनता को एक नई शुरुआत का मौका दिया है.

सीरिया की इस अप्रत्याशित घटना ने दुनिया भर में राजनीतिक हलचल मचा दी है. कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं जाहिर की हैं.

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के सीरिया के लिए विशेष दूत गेयर पेडरसन ने कहा, “अब यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सीरिया में एक समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया शुरू हो.” उन्होंने यह भी कहा कि सीरिया को अपनी संप्रभुता और स्थिरता बहाल करनी होगी.

चीन: चीन ने इस घटनाक्रम को करीब से देखा है. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम सीरिया की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और उम्मीद करते हैं कि देश में जल्द स्थिरता आएगी.”
उन्होंने अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं और दूतावास को मजबूती से कार्यरत बताया.

जर्मनी: जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने बशर अल-असद के पतन को “सीरियाई जनता के लिए बड़ी राहत” बताया. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि देश को चरमपंथी ताकतों के हाथों में जाने से रोकने की जरूरत है.

इजरायल: इजरायल ने विद्रोहियों की इस जीत को अलग नजरिए से देखा है. इजरायली मंत्री अमिचाई चिकली ने कहा, “सीरिया का अधिकांश हिस्सा अल-कायदा और आईएसआईएस से जुड़े संगठनों के नियंत्रण में है.” इजरायली सेना ने गोलान हाइट्स क्षेत्र में अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है.

क्या बोले नेतन्याहू?
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के पतन को “ऐतिहासिक दिन” करार दिया है. उन्होंने इसे ईरानी गठजोड़ की एक महत्वपूर्ण कड़ी के टूटने के रूप में देखा. नेतन्याहू ने कहा कि असद सरकार का पतन इजरायल द्वारा हिज़बुल्ला और ईरान पर किए गए हमलों का प्रत्यक्ष परिणाम है. उन्होंने यह दावा किया कि इजरायल की सक्रिय रणनीतियों ने सीरिया में ईरान और उसके समर्थित संगठनों की ताकत को कमजोर किया, जिससे असद सरकार गिरने पर मजबूर हुई. नेतन्याहू ने कहा, “यह सिर्फ एक सरकार का अंत नहीं है, बल्कि यह ईरानी विस्तारवादी एजेंडे पर एक बड़ा प्रहार है.”

इजरायल लंबे समय से ईरान को अपने लिए सबसे बड़ा सुरक्षा खतरा मानता रहा है और असद सरकार को ईरानी गठजोड़ का अहम हिस्सा मानता था. इजरायली प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अपनी सेना और खुफिया एजेंसियों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी कोशिशों ने इस क्षेत्र में स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभाई. नेतन्याहू ने यह भी कहा कि इजरायल आने वाले समय में अपनी सुरक्षा रणनीतियों को और मजबूत करेगा ताकि क्षेत्र में उभरते खतरों से निपटा जा सके.

ईरान ने दी है प्रतिक्रिया
बशर अल-असद सरकार के पतन के बाद, सीरिया के करीबी सहयोगी ईरान ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. ईरानी विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि “सीरिया के भविष्य का निर्णय केवल सीरियाई जनता को करना चाहिए, और इसमें किसी भी प्रकार का बाहरी हस्तक्षेप अस्वीकार्य है.”

ईरान ने लंबे समय तक असद सरकार का समर्थन किया है और उसे अपनी रणनीतिक नीति का अहम हिस्सा माना है. हालांकि, मौजूदा हालात में ईरान ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है और कहा है कि सीरिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए एक राष्ट्रीय सहमति का मार्ग अपनाया जाना चाहिए. ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा, “सीरिया में हालिया घटनाएं एक महत्वपूर्ण मोड़ हैं. हम उम्मीद करते हैं कि सभी संबंधित पक्ष मिलकर एक ऐसा समाधान निकालेंगे जो सीरिया की संप्रभुता और उसकी क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे.”

तुर्की: तुर्की के विदेश मंत्री हाकान फिदान ने इस बदलाव को सीरियाई सरकार के पतन के रूप में देखा. उन्होंने कहा, “सीरिया में सत्ता हस्तांतरण हो रहा है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादी संगठन इसका फायदा न उठाएं.”

संयुक्त अरब अमीरात: यूएई के सलाहकार अनवर गर्गाश ने कहा, “गैर-राज्य तत्वों को राजनीतिक शून्य का फायदा नहीं उठाने देना चाहिए.” उन्होंने इस घटना को राजनीतिक विफलता का परिणाम बताया.

यमन और अन्य देश: यमन के सूचना मंत्री मुअम्मर अल-इरयानी ने इसे ईरान के विस्तारवादी एजेंडे की विफलता करार दिया. वहीं, फिलीपींस ने सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने और हिंसा से बचने की अपील की.

सीरिया के भविष्य पर सवाल
हालांकि यह घटना असद शासन के अंत का प्रतीक है, लेकिन सीरिया के लिए चुनौतियां यहीं खत्म नहीं होतीं. देश के सामने राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने, युद्ध से बर्बाद अर्थव्यवस्था को फिर से जीवित करने और विस्थापित नागरिकों को वापस लाने की बड़ी जिम्मेदारी है. इसके अलावा, विद्रोही गुटों के बीच सत्ता-शेयरिंग और चरमपंथी संगठनों के प्रभाव को रोकना भी बड़ी चुनौतियां हैं.

ईस्ट सीरिया में सैन्य उपस्थिति बनाए रखेगा अमेरिका

अमेरिका पूर्वी सीरिया में अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखेगा और इस्लामिक स्टेट (आईएस) के फिर से उत्थान को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएगा. यह बयान रविवार को पेंटागन के मध्य पूर्व मामलों के उप सहायक सचिव डेनियल शापिरो ने दिया. यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ ही घंटे पहले सीरियाई विद्रोहियों ने बशर अल-असद की सरकार को उखाड़ फेंकने की घोषणा की थी.

डेनियल शापिरो ने सभी पक्षों से अपील की कि वे नागरिकों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों, की सुरक्षा सुनिश्चित करें और अंतरराष्ट्रीय मानकों का सम्मान करें. उन्होंने कहा, “हम सीरिया में स्थिरता बनाए रखने और आईएस के खतरे को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सभी पक्षों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हिंसा का कोई नया दौर शुरू न हो और सभी नागरिकों को सुरक्षा मिले.” यह बयान अमेरिका की उस नीति को रेखांकित करता है, जिसमें वह मध्य पूर्व में स्थिरता लाने और आतंकवादी संगठनों को कमजोर करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

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