अमेरिका में फिर लागू होगी सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी! ट्रंप सरकार में टॉम होमन और स्टीफन मिलर की नियुक्ति से बढ़ेंगी भारतीयों की मुश्किलें? – Difficulties of Indians in America may increase Trump new Border Czar will implement strict rules for immigrants ntc

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest
Pocket
WhatsApp

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव जीतकर दूसरे कार्यकाल की तैयारी कर डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सरकार में लोगों की नियुक्ति शुरू कर दी है. उनकी हाल की नियुक्तियां और नीति घोषणाएं इमिग्रेशन पर एक सख्त रुख की ओर इशारा कर रही हैं, जिसका सीधा असर अवैध रूप से प्रवेश करने वाले और वर्क वीज पर वैध रूप से अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रवासियों पर पड़ेगा. दरअसल, ट्रंप ने इमिग्रेशन और कस्टम एनफोर्समेंट (ICE) के पूर्व प्रमुख टॉम होमन को “बॉर्डर जार” नियुक्त किया है. आक्रामक बॉर्डर एनफोर्समेंट के प्रमुख समर्थक होमन सीनेट दक्षिणी और उत्तरी दोनों सीमाओं के साथ ही समुद्री और विमानन सुरक्षा की देखरेख करेंगे. इसके अलावा वे निर्वासन का कामकाज भी देखेंगे. नियुक्ति होने के बाद उन्होंने अमेरिका में अब तक का सबसे बड़ा निर्वासन अभियान लागू करने का वादा किया है.

यह घोषणा होमन के बार-बार इस बात पर जोर देने के बाद की गई है कि ट्रंप ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने इमिग्रेशन की सख्त नीतियों को लागू कर अमेरिकी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए सबसे अधिक काम किया. ऐसे में इससे भारतीय नागरिकों की टेंशन बढ़ सकती है. कारण, हाल के वर्षों में विशेष रूप से गुजरात और पंजाब से अनधिकृत क्रॉसिंग के माध्यम से अमेरिका में प्रवेश करने का प्रयास करने वाले भारतीयों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. कई लोग मैक्सिको और कनाडा के जरिए खतरनाक यात्रा करते हैं, मानव तस्करी नेटवर्क को $70,000 तक का भुगतान भी करते हैं और तमाम जोखिमों का सामना करते हुए अमेरिका पहुंचने का प्रयास करते हैं. ऐसे में होमन को ट्रंप द्वारा इमिग्रेशन और डिपोर्टेशन विभाग का प्रभारी बनाए जाने के बाद निर्वासन की संख्या में वृद्धि होने की उम्मीद है. ये संभवतः उन लोगों को प्रभावित करेगा जिन्होंने इन जोखिम भरे रास्तों को अपनाया है, जिससे भविष्य में  अवैध इमिग्रेशन के खिलाफ अमेरिकी सीमा को मजबूती मिलेगी.

स्टीफन मिलकर नीति के लिए डिप्टी चीफ बनाए गए

इसके अलावा, स्टीफन मिलर को नीति के लिए डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में फिर से नियुक्त करने का ट्रंप का फैसला अवैध और वैध दोनों तरह के इमिग्रेशन पर लगाम कसने का संकेत देता है. इसका भी असर हजारों भारतीय वीजा धारकों पर पड़ सकता है. दरअसल, मिलर, जो अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप के अप्रवास एजेंडे के पीछे थे, लीगल इमिग्रेशन के विरोध के लिए जाने जाते हैं. उनके प्रभाव में H-1B वीजा अस्वीकृतियों में उछाल आया और H4 EAD नवीनीकरण की प्रक्रिया (H-1B वीजा धारकों के जीवनसाथियों के लिए एक कार्य प्राधिकरण) काफी धीमी हो गई. इससे अमेरिका में बसे हजारों भारतीय परिवारों को परेशानी हुई. मिलर के व्हाइट हाउस में वापस आने के बाद, इसी तरह के दृष्टिकोण की उम्मीद है, जिससे इन वीजा पर निर्भर भारतीय पेशेवरों के लिए चिंताएं बढ़ रही हैं. 

मिलर ने एच1बी वीजा धारकों के प्रति अपनी नापसंदगी व्यक्त की है और उनके कड़े विचार तब भी सामने आए जब उन्होंने 2020 एच1बी नीति ज्ञापन जारी किया, जो अब बंद हो चुका है. इस ज्ञापन के मुताबिक, एच1 वीजा पर रह रहे 60% भारतीय अमेरिका में काम करने और रहने के लिए अयोग्य हो जाएंगे. इमिग्रेशन वकीलों ने चेतावनी दी है कि मिलर इस ज्ञापन को फिर से जारी करेंगे, जिससे एच1बी वीजा पर निर्भर रहने वाले वकीलों और कंपनियों को अदालती लड़ाई का सामना करना पड़ सकता है.

होमन की नियुक्ति पहले भी बढ़ा चुकी हलचल

बता दें कि पहले भी ट्रंप प्रशासन में होमन की भूमिका ने ऐतिहासिक रूप से विवादास्पद नीतियों को जन्म दिया है, जिसमें 2018 की व्यापक रूप से आलोचना की गई परिवार अलगाव नीति भी शामिल है, जिसके तहत 5,500 से अधिक बच्चों को अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर उनके माता-पिता से अलग कर दिया गया था. हालांकि इस नीति को अंततः सार्वजनिक आक्रोश के बाद रोक दिया गया था, लेकिन होमन की तरह तमाम लोग इस सख्त इमिग्रेशन नियंत्रण उपायों की आवश्यकता का बचाव करते रहे हैं. होमन खुद ICE प्रमुख के लिए अपने नामांकन के सीनेट में रुक जाने से हताश होकर रिटायर हो गए थे. बाद में वह फॉक्स न्यूज और रूढ़िवादी हेरिटेज फाउंडेशन में शामिल हुए. वह ट्रंप की इमिग्रेशन नितियों की जमकर तारीफ करते रहे, जिसमें प्रोजेक्ट 2025 भी शामिल है. यह एक ऐसा खाका है, जिसका उद्देश्य संघीय सरकार की नीतियों में सुधार करना है, जिसमें कड़े इमिग्रेशन नियंत्रण उपाय शामिल हैं. हालांकि ट्रंप ने इस विवादास्पद परियोजना से खुद को दूर कर लिया है, लेकिन इसका उनके एजेंडे से मेल खाना और होमन का इसका निरंतर समर्थन प्रशासन के रुख को रेखांकित करता है.

भारतीय प्रवासियों को काम देने वाली कंपनियों पर पड़ सकता है असर

इसके अलावा, इमिग्रेशन एनफोर्टमेंट से परे मिलर बिना दस्तावेजों वाले प्रवासियों को काम पर रखने वाली कंपनियों को भी टारगेट कर सकते हैं. उन्होंने बड़े पैमाने पर ऐसी कंपनियों पर ताबड़तोड़ छापेमारी को फिर से शुरू करने के लिए समर्थन व्यक्त किया है, जिसे बाइडेन प्रशासन ने शोषणकारी नियोक्ताओं को टारगेट करने के पक्ष में रोक दिया था. अगर ये कदम उठाए जाते हैं तो इससे तमाम कंपनियों के वर्कलॉड पर बड़ा असर पड़ सकता है और इसका सीधा असर उन कंपनियों या संस्थानों पर होगा जहां भारतीय और अन्य अप्रवासी कर्मचारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. मिलर ने पूरे परिवारों को निर्वासित करने का भी सुझाव दिया है, जो संभावित रूप से प्रवासियों के अमेरिका में पैदा हुए बच्चों को प्रभावित कर सकता है.

Source link

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest
Pocket
WhatsApp

Never miss any important news. Subscribe to our newsletter.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *