अब रैट माइनर्स करेंगे चेतना का रेस्क्यू, उत्तराखंड में सुरंग खोद बचाई थी मजदूरों की जान – Rat miners who saved lives of laborers in Uttarakhand reached Jaipur efforts continue to rescue Chetna ntc

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राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले में 150 फीट गहरे बोरवेल में गिरी तीन साल की बच्ची चेतना को बचाने के प्रयास अभी भी जारी हैं. चेतना के रेस्क्यू ऑपरेशन में सफलता नहीं मिल पा रही है. बच्ची को बाहर निकालने के लिए मंगलवार को प्रशासन ने ‘रैट माइनर्स’ को बुलाया है.

चेतना को बाहर निकालने के लिए अब ‘रैट माइनर्स’ की टीम को बुलाया गया है. रैट माइनर्स ने ही उत्तराखंड में टनल में फंसे मजदूरों को सुरंग खोदकर बाहर निकाला था. इस टीम के पांच लड़के जयपुर के कोटपूतली के किरतपुरा गांव में मौके पर पहुंच चुके हैं.

बच्ची को बचाने के लिए देसी जुगाड़ भी हुआ फेल

प्रशासन इनसे बातचीत कर रहा है कि बोरवेल में फंसी चेतना तक कैसे पहुंचा जाए और उसको कैसे बाहर निकाला जाए. चेतना नाम की बच्ची सोमवार को अपने पिता के खेत में खेलते समय बोरवेल में गिर गई थी. बच्ची को बचाने के लिए देसी जुगाड़ फेल होने के बाद पाइलिंग मशीन का सहारा लिया गया, लेकिन ये प्लान भी फेल हो गया. कारण, रेतीली जगह होने के चलते अधिक खुदाई से बोरवेल के पास मिट्टी ढहने का खतरा पैदा हो गया.

अंब्रेला तकनीक से बच्ची को बाहर निकालने की कोशिश
 
इसके बाद एनडीआरएफ ने फिर से अंब्रेला तकनीक का सहारा लेना शुरू किया है. प्रशासन का कहना है कि उम्मीद है कि इस तकनीक से बच्ची को जल्दी निकाल लिया जाएगा. रेस्क्यू टीम तीन रॉड के जरिए नीचे बेस बनाकर बच्ची को उपर खिंचने की कोशिश कर रही है. साथ ही दूसरी जगह पर पाइलिंग का काम भी फिर से शुरू कर दिया गया है. 

कैमरे में दिखना बंद हुई बच्ची

जानकारी के मुताबिक बच्ची बोरवेल में डाले गए कैमरे में दिखना बंद हो गई है. अब वापस जेसीबी से खुदाई शुरू हुई है. अब नए सिरे से पाइलिंग मशीन लगाकर खुदाई की जा रही है. बच्ची कई घंटों से बिना खाना पानी के बोरवेल में फंसी है. कैमरे में नजर नहीं आने के चलते बच्ची के मौजूदा हालत के बारे में पता नहीं लगाया जा सका है. 

गांव वालों ने प्रशासन पर रेस्क्यू में देरी और ढिलाई का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारियों ने शुरू से इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई और बिना एक्सपर्ट के देसी तरीके से काम करती रही. जब देसी जुगाड़ फेल हुआ तो एक दिन बाद पाइलिंग मशीन बुलाई गई. 

राजस्थान में 7 साल में 47 बच्चों की मौत

राजस्थान में पिछले 7 सालों में आपदा प्रबंधन के आंकड़ों के मुताबिक  बोरवेल में गिरने से 47 बच्चों की मौत हो चुकी है. 2018 में 15, 2019 में 5, 2020 में 18, 2021 में 6 और 2024 में दो बच्चों की मौत हुई है.

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