उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा का मामला अभी थमा ही नहीं था कि अब बदायूं का विवाद सामने आ गया है. दरअसल हिंदू पक्ष ने बदायूं की शम्सी जामा मस्जिद पर नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया है. आज इस मामले में जिला अदालत में सुनवाई होनी है. इस मामले को लेकर भी जमकर राजनीति हो रही है.
बदायूं के इस मामले की सुनवाई के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया गया है. अदालत ने मुस्लिम पक्ष को बहस के लिए बुलाया है, जिसमें हिंदू पक्ष के वकील बहस करेंगे. एक ओर हिंदू पक्ष का दावा है कि नीलकंठ महादेव मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां कभी मंदिर या मूर्ति होने का कोई सबूत नहीं है.
मुस्लिम पक्ष का दावा क्या है?
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वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि सूफी विचारक बादशाह शमशुद्दीन अल्तमश जब बदायूं आए थे, तब उन्होंने यहां पर अल्लाह की इबादत करने के लिए मस्जिद बनवाई थी. यहां पर कभी मंदिर या मूर्ति होने का कोई सबूत नहीं है. इसको लेकर जो दावे किए जा रहे हैं, वो झूठ है और हकीकत के खिलाफ हैं.
ओवैसी ने भी किया था ट्वीट
बदायूं विवाद को लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट कर कहा था कि आने वाली नस्लों को ‘AI’ की पढ़ाई के बजाए ‘ASI’ की खुदाई में व्यस्त कर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि यूपी की बदायूं की जामा मस्जिद को निशाना बनाया गया है. अदालत में 2022 में केस किया गया था और उसकी अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी. ASI (जो भारत सरकार के तहत काम करती है) और यूपी सरकार भी केस में पार्टी हैं. इन दोनों सरकारों को 1991 एक्ट के अनुसार अपनी बात रखनी होगी.
बदायूं उत्तर प्रदेश की जामा मस्जिद को भी निशाना बनाया गया है । अदालत में 2022 में केस किया गया था और उसकी अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी। ASI (जो भारत सरकार के तहत काम करती है) और उ.प्र सरकार भी केस में पार्टी हैं । दोनों सरकारों को 1991 एक्ट के अनुसार अपनी बात रखनी होगी।शर पसंद…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 30, 2024
संभल में मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई थी हिंसा
ऐसा ही विवाद संभल में चल रहा है, जहां हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि वहां की जामा मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गई है. कोर्ट के आदेश के बाद जब सर्वे करने के लिए टीम पहुंची तो वहां हंगामा हो गया और उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. जिसके बाद हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस की ओर से फायरिंग तक की गई. इस हिंसा में पांच लोगों की मौत हुई थी.