अलर्ट! पैरासिटामॉल, Pan D और कैल्शियम सप्लीमेंट्स समेत कई दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल – PARACETAMOL MEDICINE,ETC FAILED QUALITY TEST medicines that have been flagged by CDSCO batch wise failing quality tests ntc

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भारत के ड्रग नियामक, CDSCO द्वारा अगस्त में किए गए क्वालिटी टेस्ट में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, विटामिन, कैल्शियम डी3 सप्लीमेंट्स, बच्चों में बैक्टीरियल संक्रमण, एसिड रिफ्लक्स और पेट संक्रमण की कई दवाएं क्वालिटी स्टैंडर्ड पर खरी नहीं उतरीं हैं.

भारत के सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने अगस्त 2024 में एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में देशभर में आमतौर पर उपयोग की जाने वाली कई महत्वपूर्ण दवाएं गुणवत्ता परीक्षण (क्वालिटी टेस्ट) में फेल पाई गईं. इन दवाओं में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, एसिड रिफ्लक्स, विटामिन और कैल्शियम सप्लीमेंट्स, साथ ही बच्चों के लिए बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज के लिए दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं शामिल थीं. रिपोर्ट के अनुसार, इन दवाओं को NSQ (गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं- नो स्टैंर्ड क्वालिटी) घोषित किया गया है.

मेडिसिन

ये दवाएं हुईं टेस्ट में फेल
रिपोर्ट में इन दवाओं की क्वालिटी, स्टैंडर्ड पर खरी नहीं उतरी

पैरासिटामोल टैबलेट्स (500 mg): हल्के बुखार और पेन किलर के तहत प्रयोग की जाती है, आमतौर पर ये प्राथमिक उपचार का हिस्सा है और हर घर में सामान्य तौर पर पाई ही जाती है. 

ग्लाइमेपिराइड: यह एक एंटी-डायबिटिक दवा है, जिसका उपयोग शुगर के इलाज में किया जाता है. इसका निर्माण अल्केम हेल्थ ने किया था.

टेल्मा H (टेल्मिसर्टान 40 mg): ग्लेनमार्क की यह दवा हाई बीपी के इलाज में दी जाती है. परीक्षण में यह दवा भी बिलो स्टैंडर्ड रही है. 

Pan D: एसिड रिफ्लक्स के इलाज दी जाने वाली यह दवा भी गुणवत्ता परीक्षण में असफल रही. इसे अल्केम हेल्थ साइंस ने बनाया था.

शेल्कल C और D3 कैल्शियम सप्लीमेंट्स: शेल्कल को Pure & Cure हेल्थकेयर द्वारा निर्मित और टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स द्वारा वितरित किया गया, जो परीक्षण में मानकों पर खरा नहीं उतरा.

क्लैवम 625: यह एक एंटीबायोटिक दवा है.

सेपोडेम XP 50 ड्राई सस्पेंशन: बच्चों में गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज में दी जाने वाली यह दवा, हैदराबाद की हेटेरो कंपनी द्वारा बनाई गई थी.क्वालिटी टेस्ट में असफल रही.

Pulmosil (इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए): सन फार्मा द्वारा बनाई गई, इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज के लिए दी जाती है.

Pantocid (एसिड रिफ्लक्स के लिए): एसिडिटी और रिफ्लक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली सन फार्मा की यह दवा भी फेल पाई गई.

Ursocol 300: सन फार्मा की यह दवा भी गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरी.

Defcort 6: मैकलॉयड्स फार्मा की यह दवा, जो गठिया के इलाज में दी जाती है, गुणवत्ता परीक्षण में फेल रही.

मेडिसिन

क्या बोलीं कंपनियां
इन दवाओं की परीक्षण रिपोर्ट आने के बाद संबंधित कंपनियों ने जवाब दाखिल किए, जिसमें उन्होंने दावा किया कि रिपोर्ट में बताए गए बैच उनके द्वारा निर्मित नहीं किए गए थे और यह उत्पाद नकली हो सकते हैं. कंपनियों ने यह भी कहा कि वे इस मामले में जांच के नतीजों का इंतजार कर रही हैं.

CDSCO ने क्या बताया?
CDSCO ने बताया कि यह रिपोर्ट नकली दवाओं के उत्पादन की जांच के परिणाम पर निर्भर करती है. फिलहाल, नियामक एजेंसी यह देख रही है कि क्या वास्तव में इन दवाओं को नकली रूप में बाजार में उतारा गया है या मानकों के उल्लंघन के तहत निर्मित किया गया है. इस जांच का परिणाम आने तक, ये दवाएं बाजार में बिकने पर रोक नहीं लगाई गई हैं, लेकिन नियामक ने संबंधित कंपनियों से आवश्यक कदम उठाने को कहा है.

क्या हैं संभावित खतरे?
क्वालिटी स्टैंडर्ड में फेल दवाएं मरीजों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं. अगर नकली दवाएं बाजार में आ रही हैं, तो यह न केवल चिकित्सकीय उपचार को प्रभावित करता है, बल्कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है. CDSCO द्वारा की जा रही जांच इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर करती है और भविष्य में दवा उद्योग की सख्त निगरानी की आवश्यकता पर जोर देती है.

क्या है CDSCO?
CDSCO (Central Drugs Standard Control Organization) भारत का केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन है, जो देश में दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के नियमन और मानकों के लिए जिम्मेदार प्रमुख संस्था है. यह संगठन भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन काम करता है. CDSCO एक तरह रेग्युलेटरी ऑर्गनाइजेश की तरह काम करता है जो कि देश में उपलब्ध दवाएं, चिकित्सा उपकरण और सौंदर्य प्रसाधन के लिए तय करता है कि वह सुरक्षित, प्रभावी और क्वालिट स्टैंडर्ज के मानकों के अनुसार ही हों. 

CDSCO के कार्य:
दवाओं के लिए लाइसेंसिंग और रजिस्ट्रेशन: नई दवाओं और चिकित्सा उपकरणों को बाजार में लाने के लिए लाइसेंस जारी करना.
गुणवत्ता मानकों की निगरानी: यह सुनिश्चित करना कि दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों के अनुसार हो.
नैदानिक परीक्षण (क्लिनिकल ट्रायल) की मंजूरी: दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के परीक्षण की अनुमति देना ताकि उनकी सुरक्षा और प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके.

दवाओं की गुणवत्ता नियंत्रण: दवाओं के उत्पादन और बिक्री पर निगरानी रखना और गुणवत्ता मानकों का पालन न करने वाले उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई करना.
नियमित निरीक्षण: देशभर में औषधि उत्पादन इकाइयों का निरीक्षण करना और उनकी गुणवत्ता मानकों की समीक्षा करना.
फार्माकोविजिलेंस (दवा सुरक्षा निगरानी): दवाओं के उपयोग के दौरान होने वाले दुष्प्रभावों की निगरानी और रिपोर्टिंग की प्रक्रिया सुनिश्चित करना.

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